बजट पर सिंह देव का बयान जनता को झांसा देकर ठगने का कार्य किया है..!

अम्बिकापुर नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंह देव ने केन्द्रीय बजट पर अपने विचार रखते हुए कहा कि आज के बजट से आमजनों को काफी आशा थी, लोगों को उम्मीद थी कि जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, टैक्स में कमी की जायेगी तथा इनकम टैक्स स्लैब में भी छूट मिलेगी, किन्तु सरकार का यह बजट आमजनों के लिये पुरी तरह से निराशाजनक है।

नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंह देव ने कहा कि सरकार ने बजट में 5 लाख के स्वास्थ्य बीमे के बात कि है तथा 2022 तक सभी को आवास की, किन्तु अभी इसके लिये केवल योजना है, जबकि विगत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में आवास का अधिकार एवं स्वास्थ्य का अधिकार कानून लाने की बात कही थी, यदि कांग्रेस की सरकार होती तो जिस तरिके से देश में सूचना का अधिकार, खाद्य सुरक्षा का अधिकार, शिक्षा का अधिकार जैसे कानून लागू हैं, यह भी लागू हो गया होता, किन्तु वर्तमान सरकार अभी भी केवल इस पर योजना बनाने में लगी हुई है, इसे तो कानून के रूप में लागू किया जाना चाहिए था।

सरकार ने इस पर भी आमजनता को केवल झांसा देकर ठगने का कार्य किया है। वहीं लोगों को यह उम्मीद थी जिस तरह से तेल के रेट में आये दिन वृद्धि हो रही है, उसे देखते हुए इसे जीसटी में लाने का प्रावधान सरकार इस बजट के जरिये करेगी, किन्तु वर्तमान बजट में इसे शामिल नहीं किया जाना और अभी भी एक्साईंज एवं वैट के दायरे में रखना आम लोगों को अभी भी महंगाई के मार से परेशान करने वाला कदम है। जहां सरकार पुल-पुलिया, सड़क के निर्माण की घोषणा को ग्रामीण रोजगार से जोड़ रही है वह भी पुरी तरह से आमजनता के साथ छलावा है, वर्तमान में देश में लगभग 7 लाख गांव हैं और जितनी निर्माण कार्य की बात की गई है वह मुश्किल से 10 हजार गावों से गुजरेगी, जबकि सच्चाई यह है कि अधिकतर सड़क, पुल, पुलिया के ऐसे निर्माण कार्य में स्थानीय लोगोें को कम ही रोजगार मिल पाता है, ऐसी स्थिती में यह भी बेरोजगार लोगों एवं आमजनों के साथ छलावा है। वहीं महंगाई को ध्यान में रखते हुए सरकार को टैक्स में कमी करनी चाहिए किन्तु एज्युकेशन टैक्स में 1 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई है। इस हिसाब से यह बजट आमजनों को पुरी तरह निराश करने वाला है।

सरकार ने पूर्व में कृषकों की आय दोगुनी करने की बात कही गई थी, वर्तमान में डेढ़ गुना की बात की जा रही है, लेकिन इसके लिये बजट में कोई प्रावधान नहीं है, कृषि उपज की खरीदी हेतु न्यूनतम सर्मथन मुल्य तय की जाती है, इस पर कोई चर्चा नहीं की गई, राज्य सरकारों के पास रूपये नहीं है तो फिर सरकार कृषकों के आमदनी डेढ़ गुना कैसे करेगी, बिना बजट में प्रावधान किये घोषणा कर देना किसानों के साथ धोखा है।