अम्बिकापुर प्लास्टिक कैसी बैग के बाद अब प्लास्टिक से बने डिस्पोजल गिलास, कप,प्लेट और चम्मच के उपयोग पर भी प्रतिबन्ध लग चुका है.. पर्यावरण के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक के डिस्पोजल भी अब प्रतिबंधित कर दिए गए.. इस सम्बन्ध में जिला प्रशासन ने व्यापारियों को जानकारी देकर स्टाक ख़त्म करने की अपील की है.. लेकिन अब से प्लास्टिक के डिस्पोजल का उपयोग करने वाले पर कार्यवाही होगी..
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी एस.के. तिवारी ने बताया कि संपूर्ण सरगुजा जिले में कोई भी व्यक्ति या संस्था कैरी बैग या प्लास्टिक से बने हुए कप, गिलास, प्लेट, बाउल एवं चम्मच का खान-पान के लिए प्रयुक्त नही करेगा साथ ही विनिर्माण भण्डारण, यातायात विक्रय परिवहन एवं उपयोग नहीं करेगा।
श्री तिवारी ने बताया कि प्लास्टिक कैरी बैग अल्प जीवन पीवीसी एवं क्लोरीन युक्त प्लास्टिक गटर एवं नालियों को निरूद्व करते हैं जिसके कारण अल्पकालिन एवं दीर्घकालीन स्वास्थ्य असुविधाएं उत्पन्न होती है। प्लास्टिक के संबंध श्रीमती अलमित्रा, एच. पटेल एवं अन्य विरूद्व भारत संघ एवं अन्य के प्रकरण में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण, मुख्य पीठ नई दिल्ली ने अपने आदेष 2 जनवरी 2017 द्वारा अल्प जीवन पीवीसी तथा क्लोरिनयुक्त प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में संज्ञान लेने एवं समुचित निर्देष पारित करने हेतु कहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य शासन द्वारा पूर्व में ही प्लास्टिक कैरी बैग विनिर्माण, भण्डार, आयात, विक्रय, परिवहन एवं उपयोग को दिसम्बर 2014 में प्रतिबंधित किया गया है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देष को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक कैरी बैग अल्प जीवन पीवीसी तथा क्लोरिनयुक्त प्लास्टिक पर भी प्रतिबंध लगाने की आवष्यकता महसूस की जा रही है।
श्री तिवारी ने बताया कि कोई भी उद्योग प्लास्टिक कैरी बैग, अल्प-जीवन पीवीसी एवं क्लोरिनयुक्त प्लास्टिक सामग्री (पीवीसी के बैनर, फ्लेक्स, होर्डिग्स, फोम बोर्ड) तथा खान-पान के लिए प्रयुक्त प्लास्टिक की वस्तुएं (कप, ग्लास, प्लेट, बाउल, एवं चम्मच) का विनिर्माण नहीं करेगा। जिसमे कोई भी व्यक्ति, विज्ञापनकर्ता, दुकानदार, विक्रेता, थोक विक्रेता या फुटकर विक्रेता, व्यापारी, फेरीलगाने वाला सम्मिलित है।
भारत सरकार, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (आईओई की अधिसूचना क्रमांक एसओ 394 (ई) 16 अप्रैल 2017 द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का सं. 29 की धारा 19 के अधीन कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर, उप खण्ड मजिस्ट्रेट (एस.डी.एम.) एवं छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी अधिकृत हैं।