पूरी सड़क बह गयी लेकिन जांच दल ने कहा कोई भ्रष्टाचार नहीं

सीईओ जिला पंचायत सूरजपुर सहित अन्य अधिकारी थे जांच दल में

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पीएमजीएसवाई के तहत बनी जजावल सड़क का मामला

प्रतापपुर से “राजेस गर्ग”

विकासखंड प्रतापपुर के दूरस्थ और पिछड़े ग्राम जजावल के पास घाट कटिंग और सड़क निर्माण भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गयी,बारिश में पूरी की पूरी सड़क बह गयी लेकिन जिला पंचायत सीईओ,ईई पीडब्लूडी,ईई मुख्यमंत्री सड़क योजना और एसडीएम जैसे अधिकारियों के जांच दल को इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं दिखा और अपने जांच प्रतिवेदन में ठेकेदार और निर्माण एजेंसी को क्लीन चिट दे दिया। जांच दल के इस रवैया के बाद इनकी भूमिका पर भी संदेह उत्पन्न हो रहा है वहीँ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने हक़ के लिए फिर से आंदोलन का मन बना लिया है।
गौरतलब है कि वर्ष 08-09 में प्रतापपुर क्षेत्र के सबसे पिछड़े और दूरस्थ ग्राम जजावल तक चंदोरा से पीएमजीएसवाई के तहत सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ था जिसमें घाट कटिंग कार्य भी शामिल था जो जजावल तक पहुँच मार्ग को जटिल बनाती है। सड़क निर्माण स्वीकृति के बाद ठेकेदार ने घटिया निर्माण कराया, सड़क के घटिया निर्माण की बातें शुरू से ही उठने लगी थीं किन्तु बिना किसी दबाव के अधिकारियों की मिली भगत से फायदे वाले कार्य कर ठेकेदार निकल गया और सबसे महत्वपूर्ण कार्य घाट कटिंग को उसने छोड़ दिया। चूँकि 08-09 का कार्य होने के बाद भी ठेकेदार ने अधूरा काम छोड़ दिया तो नियमतः उसे काली सूचि में डालते हुए रिटेंडर कर काम पूरा कराना था किन्तु अधिकारियों से सांठ गाँठ की वजह से ठेकेदार के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इस वर्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री रमन सिंह ग्राम सुराज अभियान के तहत जजावल पहुंचे थे जहां उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि घाट कटिंग और सड़क निर्माण का कार्य शीघ्र कराया जाएगा और मुख्यमंत्री का यह आश्वासन पीएमजीएसवाई के अधिकारियों और ठेकेदार के लिए वरदान साबित हो गया,नियमतः विभाग को पुरे काम का नया स्टीमेट बना टेंडर निकाल काम कराना था किन्तु उन्होंने ऐसा न कर पुराने टेंडर में ही काम छोड़ चुके प्रकाश राय से आनन फानन में काम करा लिया ताकि सड़क के बचे हुए पैसे का गबन किया जा सके और ठेकेदार तथा विभाग ने किया भी वही।

घाट कटिंग के नाम पर औपचारिकता पूरी कर सड़क इतनी घटिया बनायी कि बनने के हप्ते बाद ही बारिश में पुरी क़ी पूरी सड़क बह गयी जिसके बाद पूर्व मंत्री प्रेमसाय सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने बनारस मार्ग में चंदोरा के पास चक्का जाम किया था तब तहसीलदार प्रतापपुर ने आंदोलन कारियों के साथ मौके पर जाकर वस्तुस्थिति से सम्बंधित पंचनामा भी तैयार किया था किन्तु ठेकेदार और विभाग पर इसका कोई असर नई पड़ा और पूर्व की तरह ही बाकी कार्यों में घटियापन जारी रहा। इस बीच कलेक्टर ने एक जांच दल् गठित की जिसमें जिला पंचायत सीईओ,ईई पीडब्लूडी,ईई मुख्यमंत्री सड़क योजना सहित एसडीएम प्रतापपुर को शामिल किया था किन्तु ताज्जुब की बात है इतने बड़े बड़े अधिकारियों को जजावल घाट कटिंग और सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार नहीं दिखा जबकि पूरी की पूरी सड़क बह गयी और यह चलने लायक भी नहीं बची। इतने बड़े और जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत स्तरहीन जांच प्रतिवेदन के बाद पुरे मामले में इनकी भूमिका संदिग्ध तो नजर आ ही रही है जनप्रतिनिधियों ने इन पर ठेकेदार से लेन देन का आरोप भी लगाया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के मेरी सड़क नामक एप्प में आरटीआई कार्यकर्ता राकेश मित्तल द्वारा भेजी शिकायत पर जांच दल के प्रतिवेदन के अनुसार शिकायत को निराधार बताया है। जांच दल के इस शर्मनाक कृत्य पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीण ने आक्रोश जताते हुए अपने अधिकार के लिए फिर से आंदोलन करने की बात कही है।

जनभावनाओं के साथ हो रहा खिलवाड़

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जजावल ओ गाँव है जिसने पुरे प्रदेश को पीछे छोड़ते हुए नक्सलियों की खिलाफत करते हुए सबसे पहले आवाज बुलंद की थी,इतना साहसिक कदम उठाने के बाद भी पिछड़ेपन के अभिशाप से इस गाँव को मुक्ति नहीं मिल सकी,दूसरी तरफ अधिकारी और जनप्रतिनिधि जजावल के ग्रामीणों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने में लगे हैं। जाजावल की सबसे बड़ी समस्या यहां तक पहुँच मार्ग में पड़ने वाली विशाल घाट है जिसके कटिंग की घोषणा सीएम सहित गृहमंत्री ने की तो जरूर लेकिन यह हुआ नहीं उलट यह अधिकारियों के कमाई का जरिया बन गया। घाट कटिंग के नाम पर हुए भ्रष्टाचार की शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाही नहींहो रही और नहीं गृहमंत्री या अन्य जनप्रतिनिधियों न्र कोई पहल ग्रामीणों के भावनाओं के अनुरूप कोई पहल नहीं की। जजावल के उस साहसिक कदम के बाद अधिकारियों और नेताओं ने कई घोषणाएं इनाम स्वरुप की लेकिन वे सिर्फ घोषणाएं बनकर रह गयी। आरटीआई व् सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मित्तल ने भी जजावल के ग्रामीणों द्वारा नक्सलियों के विरुद्ध सबसे पहले आवाज उठाने और अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा यहाँ के विकास के झूठे आश्वासन का मामला उठाते हुए मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट,हाइकोर्ट,राष्ट्रपति सहित कई जगह पत्र लिखा लेकिन जजावल आज भी विकास से कोसों दूर है। जांच दल के प्रमुख जिला पंचायत सीईओ संजीव झा से फ़ोन पर इस सम्बन्ध में जानकारी के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु उनके द्वारा फ़ोन न उठाने के कारण उनका जवाब नहीं लिया जा सका।