पहाडी कोरवा महिलाओ की कर दी नसंबदी : अब कैमरे से बच रहे है जिम्मेदार

अम्बिकापुर 

सरकार जिसके संरक्षण और जनसंख्या बढाने के लिए योजना बनाती है, सरगुजा जिले मे उन्ही की जनसंख्या कम करने का षडयंत्र रचा जा रहा है। मामला राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले कोरवा जाति से जुडा है। जिनकी महिलाओ को स्वास्थ विभाग अपना टारगेट पूरा करने के लिए जबरन नसबंदी का शिकार बना रहा है। और अपनी करतूत पर पर्दा डालने के लिए विभाग के रिकार्ड मे उनकी जाति भी बदल दी जा रही है।

सरगुजा जिले के सूदूर पहाडी अंचल के मुरताडाड गांव मे विशेष संरक्षित कोरवा जाति के बहुताय वाली समेरियापारा बस्ती मे पहाडी कोरवा महिलाओ की जबरन नसबंदी का मामला सामने आया है। गौरतलब है कि इस जाति की जनसंख्या कम होने की वजह से उनकी नसबंदी प्रतिबंधित है। लेकिन स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और स्वास्थ कार्यकर्ताओ ने टारगेट पूरा करने के लिए इन महिलाओ की ना केवल जबरन नसबंदी करा दी है बल्कि अपनी नापाक करतूत छिपाने के लिए रिकार्ड मे पहाडी कोरवा जाति की महिलाओ को मझवार जाति का बना दिया है।

सरगुजा जिले के मुरताडांड की इन महिलाओ मे 3 पहाडी कोरवा जाति की महिलाओ की नसबंदी 3 सप्ताह पूर्व शांतिपारा उप स्वास्थ केन्द्र मे कराई गई है। इतना ही नही इस बस्ती की 9 अन्य महिलाओ की नसबंदी पहले भी कराई जा चुकी है। लेकिन अपनी जनसंख्या और स्वास्थ विभाग द्वारा जबरन नसंबदी के कारण इस जाति के बडे बुजुर्गो मे आक्रोश है। और उनका मानना है कि इसी वजह से उनकी जनसंख्या कम हो रही है।

ये मामला बिलासपुर के बहुचर्चित नसबंदी कांड के बाद प्रकाश मे आया है। लिहाजा विभाग इस नापाक करतूत के लिए जिम्मेदार बीएमओ , सीएमओ सब कैमरे के सामने आने से बच रहे है। लेकिन जब कोरवाओ की नसबंदी के सवाल के साथ उप संचालक स्वास्थ – एस.के.पामभोई के पास पंहुचे। तो उनके बयान ने हैरान कर दिया । उनको ये ही नही पता कि पहाडी कोरवा जाति के लोगो की नसबंदी के लिए क्या नियम कायदे है। हांलाकि उन्होने इस मामले को संज्ञान मे लेते हुए जांच की बात जरुर कही है।

हैरत कि बात है कि विभाग से जुडे और जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी को नियम कायदो कि जानकारी नही है। दूसरी तरफ इस संवेदनशील मसले पर प्रदेश के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने चलते चलते मामले मे कार्यवाही की बात कही है।

घटती जनसंख्या और शासकीय संरक्षण प्राप्त कोरवा जाति की महिलाओ की जबरन नसबंदी करना गंभीर मामला है। लेकिन 12 पहाडी कोरवा महिलाओ की नसबंदी के मामले मे नेता से लेकर अधिकारी तक मुह छिपाते भाग रहे है। बहरहाल बिलासपुर नसबंदी कांड को लेकर बैकफुट मे आ चुकी राज्य सरकार ,,,, सरगुजा जिले के इस नसबंदी कांड मे क्या जवाब देगी ये देखना होगा।

इसी गांव मे रहने वाली आशापति और मनकुंवर नामक कोरवा जाति की नसबंदी पीडित महिला से जब हमने हकीकत जानने का प्रयास किया तो उन्होने बताया कि उनको जबरन नसबंदी के लिए ले जाया जाता है। और 500-600 रुपए की लालच देकर उनकी नसबंदी कर दी जाती है। इतना ही नही इन महिलाओ मे से एक मनकुंवर ने बताया कि नसबंदी करने के बाद उनकी सही जाति नही लिखी जाती है।

गांव के बुजुर्ग खूलन राम कोरवा की माने तो लगातार ऐसी ही नसबंदी के कारण ही पहाडी कोरवा जाति की जनसंख्या नही बढ रही है। ऐसा ही होता रहा तो एक दिन पहाडी कोरवा जाति समाप्त हो जाएगी।