रायपुर 1 अक्टूबर 2014
पंजीयन की तिथि, 10 दिन बढ़ाने का फैसले को अपर्याप्त ठहराते हुये प्रदेष कांग्रेस के महामंत्री और कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस मांग करती है कि पंजीयन की पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर किसान की ऋणपुस्तिका के आधार पर धान खरीदी की जायें। पंजीयन किसानों को परेषान करने का तरीका और धान न खरीदने का बहाना है। वर्षों तक केन्द्र की कांग्रेस सरकार के दम पर धान खरीदी कर अपनी पीठ थपथपाने वाले रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी स्वीकार करें कि अब केन्द्र में भाजपा की मोदी सरकार भी धान खरीदी में मदद नहीं कर रही है, जबकि यूपीए सरकार छत्तीसगढ़ को भरपूर मदद करती थी। भाजपा सरकार जानबूझकर बोनस न देना पड़े, यह सोचकर धान खरीदी में बाधायें खड़ी कर रही है। भाजपा ने अपने 2013 के चुनाव घोषणा पत्र के पृष्ठ क्र. 13 में किसान से जो 33 बिंदुओ में वायदे किये है उसमें शुरू के तीन बिंदुओं में लिखा है ‘धान का समर्थन मूल्य 2100 प्रति क्विंटल करने की पहल की जायेगी। किसानों का एक-एक दाना धान की खरीदी तथा धान पर 300 रू. प्रति क्विंटल बोनस अगले 5 वर्ष तक दिया जायेगा।’ चुनाव मे भाजपा ने बड़े-बड़े वायदे किये, अब मोदी की घुड़की मिलते ही खामोष हो गये। मनमोहन सिंह को धान के 2100 रू. समर्थन मूल्य देने के लिये चिट्ठी लिखी थी, मोदी को क्यों नहीं लिखा? भाजपा के राज में गरीबों और किसानो का जीना हुआ मुहाल हो गया। धान खरीदी अब तक लक्ष्य क्यों निर्धारित नहीं किया? इनकी साजिष बेनकाब होती। किसानों से धान बेचने की संभावित तिथि तो पूछ रहे है लेकिन सरकार द्वारा धान खरीदी किस तारीख से किस तारीख तक की जायेगी और लक्ष्य क्या है? इसका निर्धारण अभी तक क्यों नहीं किया गया? कांग्रेस मांग करती है कि पंजीयन बंद किया जायें। ऋणपुस्तिका के आधार पर धान खरीदी की जायें। 2 से 2½ लाख किसान छूट रहे हैं तो यह छोटी मोटी घटना नहीं है। किसानों को जिस परेषानी से गुजरना पड़ा रहा है। मजबूरी के दौर से गुजरना पड़ा रहा है। प्रदेष में धान बेचने के लिये पंजीयन किसानो के लिये मुसीबत बन गया है। सरकार कितने भी दावे कर ले आंकड़े बता रहे है कि पंजीयन की नई नीति से किसान मायूस और परेषान है, हलाकान है। सरकार द्वारा बनाये गये कठिन नियमों के कारण उनके पंजीयन रूके हुये है। इस वर्ष जानबूझकर पंजीयन धीमी रफ्तार से किया जा रहा है जिससे किसानों में नाराजगी है। पिछले साल किसानों ने कुल मिलाकर 80 लाख टन धान समर्थन मूल्य पर बेचा था। इस वर्ष 90 लाख टन की धान खरीदी की पूरी संभावना है। अच्छे मानसून और किसानों की जी तोड़ मेहनत के कारण धान की फसल अच्छी होने की पूरी संभावना दिख रही है लेकिन सरकार के रवैय्ये के कारण फसल के आने के पहले ही किसान परेषान है।