बलरामपुर (कृष्ण मोहन कुमार) प्रदेश में एक ओर सत्तापक्ष पर काबिज लोग प्रदेश में बीजेपी सरकार के तेरह वर्ष के कार्यकाल में गाँव से लेकर शहरों तक के विकास का दम भरते है,तो वही दूसरी ओर पूर्व संसदीय सचिव सिद्धनाथ पैकरा के गृह ग्राम के ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल तक नही मिल पा रहा है, और ग्रामीण नदी नाले का पानी पीने पर मजबूर है, ग्रामीणों का आरोप है कि नेता जी चुनाव आने पर ही गाव आते है, और झूठे वायदे कर चले जाते है, कहने को तो 1300 की आबादी वाले ग्राम चिता में 4 हैण्डपम्प है, लेकिन वे हैण्डपम्प लगने के बाद से ही कोई काम के नही रह गए, स्थानीय प्रशासन ने गाँव मे ट्यूवेल भी लगवाया लेकिन उस पर भी गाँव के सरपंच ने कब्जा जमा लिया,ऐसे में राज्य सरकार के विकास के तमाम दावे यहाँ फेल होते नजर आ रहे है।
दिया तले अंधेरा, तब कैसे होगा विकास..?
यू तो प्रदेश की भाजपा सरकार में सिद्धनाथ पैकरा ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व दस वर्षों तक किया,नेता जी 2003 में विधायक बने,तथा 2008 में उन्हें लालबत्ती से नवाजते हुए रमन सरकार में संसदीय सचिव का दायित्व मिला,नेता जी सार्वजनिक मंचो पर तो सबका साथ,सबका विकास का नारा लगाते देखे जा सकते है,यही नही बड़े बड़े विकास के दावे भी करते है,बावजूद इन सबके उनके गृह ग्राम के लोग प्यासे कैसे? इसका जवाब तो केवल वही ही दे सकते हैं,पैकरा जी स्वयं तो पीते है फिल्टर पानी,और ग्रामीण मजबूर है ,ढोढ़ी का पानी पीने,तब किसका विकास?
अंतिम पंक्ति के गाँव-चिता का नही हुआ अन्त्योदय
बलरामपुर और जशपुर जिले के अंतिम छोर पर शंकरगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत भुवनेश्वरपुर का आश्रित ग्राम चिता स्थित है,जहाँ की आबादी 1300के लगभग है,और यहाँ के ग्रामीण आज भी पीने के स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे है,ऐसा नही है की इस गाँव की समस्या किसी से छिपी हो, यह गाँव पूर्व संसदीय सचिव सिद्धनाथ पैकरा का है,ग्रामीणों का आरोप है कि ग्रामीणों से मुखातिब होने जनप्रतिनिधि चुनाव के नजदीक आने पर ही गाव में आते है,और ग्रामीणों को स्वच्छ पानी देने का झूठा वायदा कर चले जाते है।
सड़क,बिजली तो है पर पीने का पानी नही है साहब..!
दरसल चारो ओर घने पहाड़ियों के बीच चिता गांव बसा हुआ है,जहाँ का विकास के नाम पर सड़क और बिजली तो है,लेकिन प्रशासन इस गाँव मे पानी को कैसे भूल गया यह समझ से परे है,गाँव के ग्रामीण बरसो से पहाड़ से निकलने वाली सूर्या नदी और ढोढ़ी का पानी पीने पर मजबूर है,यू तो गाव में चार हैण्डपम्प प्रशासन ने खुदवाये है,वही ये हैण्डपम्प खुदाई के बाद से ही अपना अस्तित्व खो चुके है,कुछ हैण्डपम्पों में पानी तो आता है,लेकिन हैण्डपम्प का पानी पीने योग्य नही है,मानो हैण्डपम्प के पानी मे किसी प्रकार का रासायनिक तरल पदार्थ निकल रहा हो।
सरकारी ट्यूवेल पर सरपंच का कब्जा
पीने की पानी की समस्या ने चिता गाव के ग्रामीणों का जीना दूभर कर रख दिया है,वर्षो से ये ग्रामीण नदी नाले और ढोढ़ी का पानी पी रहे है,हाल ही में इस गाँव मे ट्यूवेल उत्खनन का कार्य प्रशासन ने करवाया था,लेकिन ग्रामीणों का आरोप है की सरपंच ने ट्यूवेल का उत्खनन अपने घर पर ही करवा दिया,जिससे कि उन्हें पेयजल नही मिल पा रहा है।
गाँव की बहू है जनपद अध्यक्ष
इस गाँव मे बड़े तो बड़े स्कूली बच्चों को भी पता है कि उनकी प्यास ढोढ़ी से ही बुझेगी,और यही वजह है कि,स्कूली बच्चे मध्यान्ह भोजन करने के बाद जान जोखिम में डालकर नदी किनारे जा पहुँचते है,इन सबके बावजूद सत्ता का लाभ ले रहे पूर्व संसदीय सचिव और वर्तमान में अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष सिद्धनाथ पैकरा ने इस ओर कोई कारगर कदम नही उठाये,जबकि यह नेता जी का गृह ग्राम है,और वर्तमान में नेता जी की पत्नी उदेश्वरी पैकरा शंकरगढ़ जनपद पंचायत की अध्यक्ष है,बावजूद इसके चिता गाव के ग्रामीण क्यो उपेक्षित है,समझ से परे है।
हैंडपंपो की करेंगे समीक्षा-कलेक्टर
वही इस पूरे मसले पर कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने पीएचई विभाग की टीम को गाँव मे भेजकर पेयजल समस्या को दूर करने का आस्वासन दिया है,यही नही कलेक्टर ने सार्वजनिक ट्यूवेल पर सरपंच द्वारा कब्जा किये जाने के मामले में जांच के बाद कार्यवाही की बात कही है।