नारायणपुर. मेला स्थल की ढाई कोसी दैवीय परिक्रमा कर देवी देवताओं ने विश्व प्रसिद्ध मावली मेला आरंभ करने की अनुमति दे दी है। बता दें सदियों से चली आ रही परंपरा अनुसार प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी महाशिवरात्रि से पूर्व माता मावली मेला का भव्य आगाज 15 फरवरी को हुआ।
सर्व प्रथम माता मावली मंदिर प्रांगण में देवी देवताओं का जमावड़ा लगा जहां देव खेलनि आयोजित हुई जहां अलग अलग ग्रामों से आए देवी देवताओं के प्रतीक आंगा, डोली, डांग को देखने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी है। जिसके बाद परंपरा अनुसार मेला स्थल की ढाई कोसी परिक्रमा माता मावली सहित सभी देवी देवताओं ने किया।जिसके बाद मेले का आगाज हो गया है। यह मेला कुल पांच दिनों तक आयोजित होगी जिसका समापन रविवार को होगा।
बता दे कि बीते दिनों मावली मेले का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मन की बात कार्यक्रम में भी कर चुके हैं।
नारायणपुर के सचिव देव समिति के उपाध्यक्ष बृजमोहन देवांगन ने बताया मेले के 200 सालो इतिहास पुर्वजो के पास मिलता है। प्राचीन मावली माता मंदिर से ही इस कार्यक्रम की शुरुआत होती है। बताया जाता है कि मावली माता भी मेले का भ्रमण करने निकलती है। साढ़े 3 परिक्रमा का मेला होता है। परिक्रमा के बाद मेले को अनुमति मिलती है। उसके बाद आम आदमी मेले का आंनद लेता है। मावली माता को मां दंतेश्वरी की बड़ी बहन माना जाता है। बस्तर की संस्कृति और परम्पराओं की झलक भी इस मेले में दिखाई पड़ती है।
देव समिति के अध्यक्ष हीरा सिंह देहरी ने बताया पूर्वजों की परंपरा को हम लेकर चल रहे हैं। आदिवासी मावली माता को अपना इष्ट मानते हैं। इसका महत्व धीरे धीरे बढ़ता चला गया। विदेश से भी लोग आते हैं। आदिवासी अपने वनोपज को इस मेले में बिक्री करने लाते हैं।