नक्सल हिंसा पीड़ित इलाके के किसानों ने बनाई अपनी कम्पनी…

दन्तेवाड़ा के किसान उदयपुर से तिरुअनंतपुरम तक पूरे भारत में बेच रहे उत्पाद

रायपुर

छत्तीसगढ़ के नक्सल हिंसा पीड़ित बस्तर संभाग के दन्तेवाड़ा जिले के रतिराम, लुदरू, शंभुनाथ अब केवल किसान नहीं रहे, अब वे दंतेवाड़ा में जैविक उत्पाद बनाने और बेचने वाली कंपनी भूमगादी के हिस्सेदार भी हैं। जैविक खेती करने वाले दंतेवाड़ा जिले के 1200 किसानों ने जैविक उत्पाद तैयार करने और इन उत्पादों को बेचने के लिए भूमगादी नाम की कम्पनी बनाई है। इनके जैविक उत्पादों का ब्रांड नेम है आदिम। उत्तर भारत में चंडीगढ़ के ओवेरा कोआपरेटिव ग्रूप से लेकर दक्षिण भारत में तिरुअनंतपुरम के संगीता आर्गेनिक तक इसके खरीदारों में शामिल हैं। उधर पश्चिम भारत में उदयपुर का बैनयान ग्रूप इनके जैविक उत्पाद खरीद रहा है और इधर दक्षिण भारत में हैदराबाद के सहजाहारं समूह इसके खरीदार हैं। यह परिवर्तन इतना महत्वपूर्ण इसलिए है कि महज तीन साल पहले दंतेवाड़ा के किसान केवल अपने निर्वाह के लिए ही धान का उत्पादन कर पाते थे। आज उनके उत्पाद महानगरों के शॉपिंग मॉल में बिक रहे हैं। मांग काफी अधिक है और इसे पूरा करने तेजी से अन्य किसान भी जैविक खेती अपना रहे हैं। जैविक खेती कर रहे किसानों ने इस साल पिछले साल की तुलना में प्रति किसान 60 हजार से 70 हजार रुपए अतिरिक्त आय अर्जित की है। प्रशासन द्वारा इनके उत्पादों की बिक्री के लिए जैविक आउटलेट का निर्माण कराया जा रहा है। फिलहाल अस्थायी रूप से आउटलेट टेकनार रोड में आरंभ किया गया है जिसका उद्घाटन प्रगतिशील किसान श्री रतिराम एवं कलेक्टर श्री सौरभ कुमार ने किया। किसानों ने अपनी कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए कार्पोरेट अफेयर मिनिस्ट्री को आवेदन कर दिया है। रजिस्ट्रेशन होने के पश्चात कंपनी एक्ट के तहत फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को दिए जाने वाले लाभ भी इन किसानों को मिल पाएंगे।

दंतेवाड़ा की मिट्टी इसकी यूएसपीः भूमगादी को फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी से संबंधित सलाह देने वाली संस्था निर्माण आर्गेनाइजेशन के श्री आकाश बड़ावे बताते हैं कि दंतेवाड़ा की मिट्टी यहां जैविक उत्पादों  के विक्रय के लिए यूनिक सेल्स प्वाइंट है। प्रगतिशील किसान श्री लुदरू कहते हैं कि हमारी कंपनी के उत्पादों की विशेषता हमारी मिट्टी है इसमें फर्टिलाइजर का प्रयोग नहीं हुआ है। किसी और जगह के किसान अगर जैविक खेती के प्रयोग करें तो उन्हें मिट्टी के प्रदूषण को दूर करने में ही काफी वक्त लगेगा।

क्या खास है आदिम में- आदिम में चावल की 34 प्रकार की वैरायटी होंगी। इसमें मेहेर तथा गुड़मा जैसी परंपरागत प्रजातियाँ भी होंगी। इनमें आयरन काफी होता है इन्हें मेडीसनील राइस के रूप में स्थानीय लोग उपयोग करते हैं। इसी तरह हरदी घाटी, टूटी सफरी और राखी जैसी रेड राइस भी हैं जो मेडीसीनल हैं। इनका रकबा काफी कम रह गया है मांग बढ़ने पर इनकी खेती बढ़ेगी। लोकरीमाची, सुगंधा, बासमती जैसी वैरायटी के अलावा कोटो कुटकी, रागी आदि भी आदिम ब्रांड में उपलब्ध होंगे। इनका आटा, पोहा आदि उपलब्ध कराया जाएगा। प्रशासन से मिल रही मदद- जैविक उत्पादों के विक्रय के लिए आउटलेट बनाया जा रहा है। भूमगादी के लिए प्रोसेसिंग यूनिट की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जैविक उत्पादों के रखरखाव के लिए गोदाम बनाए जा रहे हैं। उत्पाद गोदाम तक पहुँचाने एवं अन्य कार्यों के लिए वाहन भी उपलब्ध कराने की योजना है।

भूमगादी के मायने क्या- भूमगादी बस्तर क्षेत्र में स्थानीय परंपरा है जब अच्छी फसल के बाद किसान फसल को एक जगह संग्रहीत कर इसका उत्सव मनाते हैं। दंतेवाड़ा में जैविक खेती कर रहे समूहों ने शासन की प्रेरणा से इसका निर्माण किया। फिलहाल 102 जैविक समूहों के 1200 से अधिक किसान इस कंपनी के सदस्य और हिस्सेदार हैं।

दन्तेवाड़ा जिले में जैविक खेती के लिए अगले तीन साल की कार्य योजना बनाई गई है। किसानों को उत्पादन से लेकर, प्रसंस्करण, मार्केटिंग तथा विपणन सभी क्षेत्रों में सहायता दी जा रही है। जैविक पद्धति से खेती के प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। जैविक खेती के संबंध में व्यापक जागरूकता अभियान फैलाकर संपूर्ण जैविक जिला बनाने की दिशा में कार्य हो रहा है।