रायपुर 18 नवंबर 2014
प्रदेष कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बिलासपुर की घटना सदोष मानव वध है यदि वहाँ पर उपयोग की गयी दवायें गुणवत्ता विहीन और नकली थी तो दवा निर्माता कंपनी पर तो हत्या और राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिये, दोषियों पर कड़ी कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है? सरकार किससे डर रही है? कड़ी कार्यवाही से असली आरोपियों के नाम उजागर होने का भय सरकार को सता रहा है? बिलासपुर नसबंदी षिविर में 15 महिलाओं की मार्मिक मौत के बाद षिविर में उपयोग की गयी दवाओं के नकली और गुणवत्ता विहीन चूहे मारने की दवा मिलाने की बाते सामने आने के बाद भी दवा निर्माता कंपनी के संचालकों के खिलाफ सिर्फ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया जाना इस बात को साबित करता है कि सरकार मामले को लीपापोती करने में जुट गयी है। इसके पूर्व भी बालोद सहित अन्य स्थानों के नेत्र षिविरों में नकली दवाओं के उपयोग की पुष्टि हैदराबाद के राष्ट्रीय औषधि प्रयोगषाला ने किया था लेकिन उस समय भी न ही दवा निर्माता कंपनी पर कोई कार्यवाही की गयी और न ही दवा सप्लायर पर। बिलासपुर नसबंदी षिविर में उपयोग की गयी दवा की निर्माता कंपनी की दवाओं के गुणवत्ता खराब होने की बात स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल विधानसभा में 21 मार्च 2012 को भी स्वीकार की थी फिर उसी विवादित और दागी कंपनी की निर्मित दवाओं की खरीदी क्यों की गयी? क्या इसके लिये स्वास्थ्य मंत्री जवाबदार नहीं है और बालोद अंखफोड़वा कांड के बाद अमर अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री बनाये रखने के लिये मुख्यमंत्री रमन सिंह जिम्मेदार नहीं है?