चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट
- रखरखाव नहीं होने से दुकाने खंडहर में हो रहीं तब्दील
स्वावलंबन का निकला दम
क्षेत्र के बेरोजगारों को रोजगार मिले, इसके लिए 2003 में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना की शुरुआत की गई थी इसके लिए शहर के 10 स्थानों को चिन्हित कर नगर निगम ने करीब 200 दुकानें बनाई है, ताकि उनमें बेरोजगार, दुकाने खोलकर अपनी रोजी रोटी चला सके, लेकिन नगर निगम अधिकारियों की आदूरर्षिता और कोताही की वजह से इन दुकानों का लाभ बेरोजगारों को नहीं मिल पा रहा है।
एक तो शहर के बाहर गैर आवासीय क्षेत्रों में दुकानों के बनाने की वजह से इन्हें खरीदार नहीं मिल रहें हैं, दुसरी ओर अधिकारियों कि इन दुकानों के आवंटन में रुचि नहीं हैं। यही वजह है कि इनमें करीब 100 दुकाने खाली पड़ी है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि इन दुकानो के आवंटन के लिए पात्र उम्मीदवारों कि तलाष जारी है, जैसे ही सुयोग्य उम्मीदवार मिलेंगे उन्हें दुकाने आवंटित कर दी जाएगी। इधर दमाम बेरोजगारो का कहना है कि बार बार के चक्कर लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं दी जा रही है। हकीकत यह है कि खाली पड़़ी तमाम दुकानों में दबंगों और अराजक तत्वों का कब्जा हो गया है तो तमाम दुकानें रखरखाव के आभव में खण्डहर में तब्दील होने को है। कुल मिलाकर नौ सालों मेें ही मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना दम तोडती नजर आ रहीं है। ऐसी कई योजनओं का लाभ आम लोंगो को नहीं मिल पा रहीं है।
दुकानें कबाड़ में तब्दील
मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना के अंतर्गत बनी दुकानों के लिए हितग्राहियो ने कई महीनों से निगम को आवेदन दिया है, लेकिन निगम द्वारा दुकानों का आवंटन नहीं किया जा है। इसके कारण दुकानें जर्जर हो गई है। अधिकतर दुकानों के शटर टुट गए है। कई दुकानों का अतिक्रमण हो गया है। इसके बावजूद निगम के अािकारी इस ओर ध्यान देने के बाजय मामले से पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहें है।
प्रभावी लोेंगों का दबदबा
मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना के अंतर्गत बनी दुकानों पर प्रभावी लोंगों का दबदबा है। दुकानो को खुद के नाम पर लेकर दुसरों को किराए पर दे दिया है। इसके कारण निगम को किराया वसूलने में काफी दिक्कतें आ रहीं है।
करोड़ों का कबाड़ा
करोड़ो रुपए की लागत से निगम ने दुकानें बानई है। आवंटन नहीं होने की वजह से सभी दुकानें धुल फांक रही है। इसके अलावा कई दुकानों की हालत बतर हो गई है। खासकर आउटर इलाकों में बनी दुकानों को लेने वाला कोई नहीं मिल रहा है।
समिति करती है आवंटन
मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना के तहत हितग्राहियो को कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति के माध्यम से दुकान आवंटित किए जाते है। पिछले दस सालों में षिक्षित बेेेरोजगार को दुकाने दी गई है लेकिन अधिकाष बेरोजार युवक इन दुकानो का संचालन नहीं कर रहें है, बल्कि दुकानों को दुसरो को बेच चुके है, और दुसरा व्यवसाय कर रहें है।
यहां की दुकानें जर्जर
- हल्दीबाड़ी परिसर
- बड़ा बजार परिसर
- गोदरीपारा स्लाटर हाउस रीजनल आस्पताल के पास
- पोड़ी स्लाटर हाउस
- डोमनहील स्लाटर हाउस
- स्वालंबन योजना निगम के
- वर्ष 2010-11 में 50.00 लाख वर्ष 2011-12 40.00 लाख वर्ष 2012- 13 मे 30 लाख ं