अम्बिकापुर
देश दीपक “सचिन”
सरगुजा के उदयपुर विकास खंड में रहने वाली दिव्यांग महिला बरसेन निशाद जिला मुख्यालय अम्बिकापुर मे भटक रही है, कलेक्टर ने बरसेन को सोलर ट्राई साइकल दिलाने का वादा किया था लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण बरसेन को सोलर ट्राई साइकल नहीं मिल पाई है, आलम ये है कि बरसेन अपने अधिकारो के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रही है, और वादा करने वाले लोग उससे मिलने को भी इंकार रहे है…
दिव्यांग का दर्द
दोनों पैरो से दिव्यांग बरसेन पर ऊपर वाले ने तो सितम ढाया ही पर नीचे वाले हुक्मरानों ने सितम ढाने मे कुछ खास कसर छोडी नही है ,, अपनी लाचारी और बेबसी के सहारे जिन्दगी में कुछ करने की चाह लिए बरसेन ने कलेक्टर जनदर्शन में से गुहार लगाईं थी, कि उसे शासन की योजना की तहत एक सोलर ट्राईसाईिकल दे दी जाए , तो वो अपनी जीविका खुद चला सके.. जिस पर कलेक्टर ने उसे सोलर ट्राई साइकल देने का आदेश पंचायत एंव समाज कल्याण विभाग को दिया था ,, लेकिन बरसेन को साईकिलल देने का आदेश कागजो में ही सिमट कर रहा गया , बरसेन को ट्राईसाइकल तो नही मिल सकी है, लेकिन बरसेन की उम्मीद भरी नजरे अब भी टकटकी लगाए है, कि शायद प्रशासन की नजरे उस पर इनायत हो जाए…
इधर प्रशासन के उदासीन रवैये से परेशान बरसेन को जब कोई रास्ता नही दिखा तो वो दिव्यांगो की बेहतरी के लिए काम करने वाली रीता अग्रवाल के पास अपनी समस्सया लेकर पहुँची, और खुद दिव्यांग रीता ने बरसेन की तकलीफ को बखूबी समझा और उसकी मदद के हर संभव प्रयास का वादा किया ,, बरसेन की बेबसी की दांस्ता रीता अग्रवाल बताती है की जैसे ही बरसेन ने कलेक्टर के ट्रांसफर की खबर सुनी तो वो भागते हुए किसी तरह से अम्बिकापुर कलेक्टर आफिस पहुँची लेकिन वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी, कलेक्टर से मिलने का प्रयास करने पर बाहर खड़े प्रहरी ने उसे यह कह कर चलता कर दिया की मैडम अभी पार्टी में बिजी है नही मिल सकती,,
विभाग ने दिया तकनीकी खराबी का हवाला
वही इस मामले में पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के प्रभारी संचालक जे.के.श्रीवास्तव का कहना है की बरसेन के लिए जो सोलर ट्राई साइकल आई थी उसमे तकनीकी खराबी के कारण वापस ले लिया गया, और सुधार के बाद ही साइकल मिल सकेगी ।
कैसे मिलेगा बेसहारो को सहारा
बरसेन और उसके जैसे दर्जनो दिव्यांग आज भी अपने अधिकार और शासन से जारी योजनाओ का लाभ लेने के लिए दर दर की ठोकर खा रहे है… और उपर वाले की मार झेल रहे लोग नीचे की भी प्रशासनिक उदासीनता की मार झेलने पर मजबूर है… बहरहाल बरसेन को उसके चलने का सहारा कब मिलेगा… इस लचर प्रशासनिक व्यवस्था मे कह पाना बडा मुश्किल है…