सूरजपुर
भैयाथान से संदीप पाल
सूरजपुर जिले के विकाशखण्ड मुख्यालय भैयाथान के आश्रित ग्राम पासल के चेरवापारा में करीब 70 लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए करीब 500 मीटर जंगल चढ़ के घोंघा झरिया के ढोढ़ी पर निर्भर है। ग्रामीणो को पानी लाने के लिए जंगल चढ़ना पड़ता है। और तब जाके पानी मिलता है। यह ग्राम ब्लाक मुख्यालय भैयाथान से 2 किलो मीटर पर जंगल के किनारे बसा है। ग्राम पंचायत भैयाथान के आश्रित ग्राम पासल के चेरवापारा मुलभुत सुविधाओ के लिए तरस रहा है। इस मोहले में लगभग 16 घर है। और यहां ज्यादा तर चेरवा, गोड़ आदिवाशी निवाश्रत है। यहां 70 लोग प्यास बुझाने के लिए घोंघा झरिया के ऊपर ढोढ़ी नुमा बना कुआ से पानी भरा जाता है। इस पारा में हैण्डपम्प होने के बाद भी लोग ढोढ़ी का पानी पी रहे है।
दरअसल जो हैण्डपम्प है। भी उस नल से लाल पानी निकलता है। इसी कारण यहा के ग्रामीण उस नल का पानी नही पिते है। यहा के ग्रामीण बताते है की हमलोग गलती से भी नल का पानी पीते भी है तो हमारा मुह दांत काला पड़ जाता है और कई तरह की बीमारी भी होने लगती है। इसी कारण हम नल का पानी नही पिते है।
जब हमारी टीम ने यह पूछा की इस नल और ढोढ़ी के अलावा और नल नही है तो ग्रामीणो ने बोला की एक और नल है जो एक किलोमीटर दूर सिवारी जाना पड़ता है तब कही जाकर सुद्ध जल मिल पाता है और हम सुबह शाम नही जा पाते है इसी कारण हम मजबूरी में ढोढ़ी का पानी पी रहे है।वही ग्रामीणो का यह भी कहना हैं। की कई बार हम इसकी शिकायत क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व पीएचई विभाग को बोल चुके है की जिस हैण्डपम्प में लाल पानी निकलता है उस हैण्डपम्प में रिमुवल प्लांट लगा दे पर आज 5 साल बीत जाने के बाद भी हमारी कोई नही सुनता और ग्रामीणो ने कहा की हम लोगो को दूसरा हैण्डपम्प शासन दे देता तो हमारी मुसीबत कम हो जाती।वनांचल गांवों में व्यवस्थित पेयजल को लेकर पीएचई विभाग द्वारा अनदेखी की जा रही है। ग्राम भैयाथान के आश्रित ग्राम पासल के चेरवापारा में एक हैंडम्प है भी तो उस नल से लाल पानी निकल रहा है। पिएच्ई विभाग ने उक्त नल मे आज तक रिमुवल प्लांट नही लगया गया है। लिहाजा लोग ढोढ़ी के दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्त की दशा दयनीय है। इसका नजारा ग्राम भैयाथान के आश्रित ग्राम पासल के चेरवा परा में देखा जा सकता है। लगभग 16घर है जिसमे 70 लोग निवासरत है इस गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए 1 हैंडपंप खोदे गए है। जबकि यहा कई वर्षो से इस नल में लाल पानी निकल रह है। वही दूसरा हैडपम्प एक किलो मीटर में है। जो उक्त नल में शुद्ध जल निकलता है। दूरी ज्यदा होने के कारण वहा के लोग ढोढ़ी का पानी पीने को विवष है। ग्रामीणों में पेयजल के प्रति जागरूकता लाने की बजाय उन्हें उनके अपनी ही स्थिति पर ही छोड़ दिया गया गया है। पेयजल के अन्य स्त्रोत सुविधा नहीं होने के कारण ढोढ़ी का पानी ही पी रहे है।
एस पी देवांगन एसडीओ पीएचई
इस सम्बन्ध में पिएचई एसडीओ एस पी देवांगन ने बताया की पासल के चेरवापारा में नागपुर की टीम के द्वारा पानी को टेस्ट किया गया था जो नल में 4.7 पिटियस आयरन पाया गया है। जो उस नल को बंद करवा के दूसरे जगह पे नया बोर उत्खनन किया जायेगा और नया खनन का प्रस्ताव आज ही शासन को भेजता हु।