मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जनता को स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी राज्य के रूप में एक नई पहचान मिली है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत राज्य में विगत 40 वर्षों में एक लाख 73 हजार घरेलू नल कनेक्शन दिए गए थे, जबकि इस योजना के तहत अगले एक साल में दो लाख कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार हम 40 साल का मुकाबला एक साल में करने का लक्ष्य लेकर और दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ पेयजल सुविधाओं के लिए एक व्यापक रणनीति बनाकर काम कर रहे हैं।
डॉ. रमन सिंह ने गर्मी के मौसम को देखते हुए जिला कलेक्टरों और लोक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सभी जिलों में सार्वजनिक पेयजल व्यवस्था का विशेष रूप से ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि हैण्डपम्पों और नल-जल प्रदाय योजनाओं की पानी टंकियों में पानी के शुद्धिकरण पर लगातार ध्यान दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने हैण्डपम्पों के नियमित रखरखाव पर भी विशेष रूप से बल दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष 2014-15 में प्रदेश के गांवों में लगभग 2400 नल-जल प्रदाय योजनाओं के माध्यम से 94 हजार 400 परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन दिए गए। राज्य सरकार को 73 हजार से अधिक ग्रामीण बसाहटों में कम से कम एक-एक पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने में भी अच्छी सफलता मिली है। मुख्यमंत्री ने बताया कि स्वच्छ पेयजल की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने कल एक अप्रैल से शुरू हुए नये वित्तीय वर्ष 2015-16 के अपने बजट में 862 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के लिए इस वित्तीय वर्ष का यह बजट प्रावधान पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक है।
डॉ. रमन सिंह ने बताया कि नये बजट में 19 ग्रामीण सामूहिक नल-जल योजनाओं के लिए पांच करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है, इनमें से पन्द्रह सामूहिक नल-जल योजनाएं आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मंजूर की गई हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि नये वित्तीय वर्ष के बजट में प्रदेश के 22 शहरों को भी नल-जल योजना में शामिल किया गया है। इसके लिए 28 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य की दो हजार 232 ग्रामीण बसाहटों में और 734 स्कूलों में नये हैण्डपम्प लगाए गए। इसे मिलाकर विगत ग्यारह वर्षों में राज्य के लगभग 39 हजार स्कूलों में बच्चों के लिए नये हैण्डपम्प लगाकर स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की जा चुकी है। अब इन्हें मिलाकर 47 हजार से ज्यादा स्कूलों में स्वच्छ पेयजल की सुविधा मिलने लगी है।