रायपुर. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी तबादला एक्सप्रेस में अब कई तरह की गंभीर खामियां दिखाई आने लगी है. जिनमें सुप्रीम कोर्ट में शासन द्वारा दाखिल शपथ पत्र की अवहेलना सहित छत्तीसगढ़ के राजपत्र में प्रकाशित नियमों को भी दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से स्थानांतरण और पदस्थापना का कार्य किया जा रहा है..
छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर अटल नगर दिनांक 22 अगस्त 2019 क्रमांक एफ 2-27/2019/20-दो राज्य शासन द्वारा विभाग के अंतर्गत विकास खंड शिक्षा अधिकारियों, प्राचार्य, व्याख्याता, प्रधान पाठक, प्रधान अध्यापक संवर्ग के अधिकारियों कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित करते हुए उनके नाम के सम्मुख दर्शित कालम में दर्शाए गए स्थानों पर आगामी आदेश तक पदस्थ करने का आदेश जारी हुआ है..
गड़बड़ी नंबर (1) – इस सूची में क्रमांक 39 पर केपी पटेल व्याख्याता अर्थशास्त्र जो कि वर्तमान में विकास खंड शिक्षा अधिकारी दुलदुला जिला जशपुर के पद पर पदस्थ है उन्हें शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कस्तूरा विकासखंड दुलदुला जिला जशपुर स्थानांतरित किया गया है.
इनका नाम इसी सूची में 80 नंबर पर केशव प्रसाद पटेल व्याख्याता, विकास खंड शिक्षा अधिकारी दुलदुला जिला जशपुर को विकास खंड शिक्षा अधिकारी घरघोड़ा जिला रायगढ़ के पद पर स्थानांतरित किया गया है.
गड़बड़ी नंबर (2) – इसी सूची के सीरियल क्रमांक 94 में उल्लेखित देव कुमार गुप्ता, विकास खंड शिक्षा अधिकारी शंकरगढ़ जिला बलरामपुर को विकास खंड शिक्षा अधिकारी लुंड्रा जिला सरगुजा के पद पर स्थानांतरित किया गया है.
इसी सूची में इनका नाम 115 वें नंबर पर फिर से देव कुमार गुप्ता विकास खंड शिक्षा अधिकारी शंकरगढ़ जिला बलरामपुर को शासकीय हाई स्कूल डूमरपान रामचंद्रपुर जिला बलरामपुर स्थानांतरित किया गया है.
गड़बड़ी नंबर (3) – सूची मे क्रमांक 64 मे अंकित प्रतिभा मंडलोई विकासखंड शिक्षा अधिकारी मुंगेली को शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल करगीकला विकासखंड कोटा जिला बिलासपुर मे स्थानांतरित किया गया हैं तथा इसी सूची मे 108 नम्बर मे अंकित एम.एल.पटेल विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कोटा को भी शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल करगीकला विकासखंड कोटा जिला बिलासपुर मे स्थानांतरित किया गया हैं. इस प्रकार वर्तमान मे दो अलग-अलग विकास खण्ड के शिक्षा अधिकारी एक ही शाला मे प्राचार्य का दायित्व निर्वहन करेंगे.
शासन द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश में 19 व्याख्याता और एक व्याख्याता एलबी को भी विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थ किया गया है.
इस तरह से एक व्यक्ति के लिए दो-दो आदेश व एक ही शाला मे दो-दो प्राचार्य का भेजा जाना यह सिर्फ लिपकीय त्रुटि नहीं हो सकती कहीं न कहीं अंदर खाने भ्रष्टाचार की आशंका को बल प्रदान करती है.
अब बात करते हैं अवहेलना की..
01 – छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 5 मार्च 2019 को प्रकाशित छत्तीसगढ़ राजपत्र असाधारण स्कूल शिक्षा विभाग में प्रकाशित पेज नम्बर 158(21) और 158 (22) में कालम नम्बर 17 का अवलोकन करने से ज्ञात हुआ कि विकास खंड शिक्षा अधिकारी के 25% पदों को सहायक विकास खंड शिक्षा अधिकारी की पदोन्नति द्वारा भरे जाएंगे (टीप- फीडिंग कैडर में पात्र अभ्यर्थी उपलब्ध ना होने की स्थिति में न्यूनतम 5 वर्ष के अनुभवी वरिष्ठ प्राचार्य को पदस्थ किए जाएंगे) तथा शेष 75% पदों को कम से कम 5 वर्ष के अनुभव रखने वाले प्राचार्य से भरे जाएंगे.
02 – माननीय सुप्रीम कोर्ट में दर्ज स्पेशल लिव पिटीशन (C) CC नंबर 3449 OF 2015, विनोद कुमार यादव विरुद्ध स्टेट ऑफ छत्तीसगढ़ के प्रकरण में शासन की तरफ से दाखिल शपथ पत्र में व्याख्याता को शैक्षणिक संवर्ग का पद बताया गया है.
हैरान करने वाली बात यह है की अभी तक हम लोगों को जो बताया गया है..या हमने जो सुना है..या जो देखा है उसके मुताबिक विकास खंड शिक्षा अधिकारी का पद प्रशासनिक पद है और इस पर गैर प्रशासनिक पद के लोगों को किस तरह से पदस्थ किया जा रहा है..यह बात समझ से परे है..