- ग्राम आवाज के जरिये चौपर वाले बाबा को हवा से लायेंगे जमीन तक-अमित जोगी
- जल, जंगल, जमीन की लड़ाई छोड़ सरकार व विपक्ष कर रही जोगरिया जाप
अम्बिकापुर
ग्राम आवाज अभियान के तहत सरगुजा संभाग के दौरे पर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सुपुत्र व मरवाही विधायक अमित जोगी ने शुक्रवार को अम्बिकापुर नगर के स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकारों से रूबरू होते हुये कहा कि न विधानसभा न लोक सभा सबसे ऊंची होगी ग्राम सभा। छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य शिक्षा व रोजगार की सुविधा से दूर है। लोगों की जल, जंगल, जमीन को छीनकर विकास का झूठा प्रचार कर रही है। चाउर वाले बाबा कहलाने वाली रमन सरकार अब चौपर वाले बाबा के नाम से जानी जा रही है। मुख्यमंत्री अब हवा में उड़ रहे हैं। जल, जंगल, जमीन को छोड़कर सरकार व विपक्ष जोगरिया जाप करने में लगी है।
ग्राम आवाज के माध्यम से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को हवा से जमीन पर लाने का काम किया जायेगा। अमित जोगी ने आरोप लगाया कि आज उनके ही क्षेत्र के लोग कई बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं और मुख्यमंत्री चौपर में बैठकर झूठे विकास का ढिढ़ोरा पीट रहे हैं। १३ वर्षों में छत्तीसगढ़ को भ्रष्टाचार का गढ़ बना लिया है। छत्तीसगढ़ की जनता को पैसा विदेशी खातों में जमा हो रहा है। श्री जोगी ने यह भी कहा कि मेरे द्वारा यह सिर्फ आरोप नहीं बल्कि प्रमाणित दस्तावेज भी हैं। अगर मेरे ये खुलासे झूठे हैं तो मेरे विरूद्ध मुख्यमंत्री व विपक्ष कानूनी कार्यवाही कर सकता है।
अगस्ता की खरीदी में हुये भ्रष्टाचार पर भी प्रमाणित दस्तावेज के आधार पर श्री जोगी ने कहा कि यह पब्लिक है जो सब जानती है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा उच्च स्तरीय जांच की मांग के बाद अगस्ता खरीदी में लोक लेखा समिति के अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष टीएस ङ्क्षसंहदेव ने जो जांच की, उसमें बड़ी मछलियों को बाहर निकाल दिया गया और मामले में सरकार को क्लीन चिट दे दी, जबकि उन्होंने ने ही इस खरीदी में आर्थिक अनियमितता का आरोप लगाकर संबंधित विभाग को चिट्ठी लिखी थी। फिर ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने जांच में सरकार को क्लीन चिट दे दी। यह पूरी तरह से हास्यस्पद है। श्री सिंहदेव ने ही लोक लेखा समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिये कहा था। मेरे द्वारा अगस्ता खरीदी के मामले में जो सिफारिशें की गई थी उसे ही सार्वजनिक किया गया था। श्री जोगी ने कहा कि जिस कंपनी से अगस्ता हेलीकॉप्टर खरीदा गया वह सिर्फ छत्तीसगढ़ सरकार को बेचने के लिये बनी थी। जैसी ही उसका कमीशन मुख्यमंत्री के पुत्र अभिषेक सिंह को मिला उसके २७ दिन बाद ही कंपनी ने अपना काम बंद कर दिया। इस पूरे घोटाले के बाद भी लोक लेखा समिति के अध्यक्ष द्वारा सरकार को क्लीन चिट देने का जवाब उन्हें देना होगा।
सबसे ज्यादा किसान की मौत सरगुजा जिले में
वार्ता के दौरान श्री जोगी ने बताया कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में १३७ किसानों ने आत्महत्या की है, जिसमें सर्वाधिक सरगुजा जिले में ४३ किसानों ने आत्महत्या की, जिसके उनके पास दस्तावेजी प्रमाण है। दूसरे नम्बर पर मुख्यमंत्री के पुत्र का संसदीय क्षेत्र आता है, जहां ३७ किसानों ने आत्महत्या की। बड़े दुःख की बात है कि बड़े पदों पर आसीन लोगों के क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की। श्री जोगी ने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन से उन ४३ किसानों के बारे में जानकारी मांगी है हालांकि प्रशासन का कहना है कि उन किसानों की मौत भूखमरी के कारण नहीं हुई। श्री जोगी ने यह भी कहा कि मैं अपने महीने के बढ़े वेतन को पीड़ित किसान परिवार को दूंगा।
सरगुजावासियों को काला पानी की सजा
श्री जोगी ने आज प्रेस वार्ता के पूर्व नगर मुख्यालय से लगे ५ किलोमीटर दूरी पर बसे कांतिप्रकाशपुर में ग्राम सभा की एक बैठक ली। श्री जोगी ने जिस जगह पर वे बैठक ले रहे थे उसके ठीक सामने एक हैण्डपम्प था। उस हैण्डपम्प का लाल पानी दिखाते हुये उन्होंने कहा कि सरगुजावासियों को सरकार ने मानों काला पानी की सजा दे दी है। मुख्यालय से ५ किलोमीटर दूरी पर लगे इस गांव का जब यह हाल है तो दूरस्थ गांव में क्या होगा, यह सोचकर भी डर लगता है। उन्होंने वार्ता के दौरान यह भी कहा कि मुझे विपक्ष के नेता व प्रदेशाध्यक्ष भूपेश बघेल के द्वारा सरकार का एजेंट कहा जाता है। मैं उन्हें बता देना चाहता हॅू कि मैं किसी और का नहीं, बल्कि जनता का एजेंट हॅू।
एक भी स्थगन प्रस्ताव नहीं लाया विपक्ष
वार्ता के दौरान अमित जोगी ने आरोप लगाते हुये कहा कि विपक्ष इस विधानसभा के बजट सत्र में एक भी स्थगन प्रस्ताव नहीं ला पाई। पूरे सत्र में केवल अमित जोगी कहां पैदा हुआ, कहां बैठेगा, उसकी जाति क्या हैं, कौन सी गाड़ी में घूम रहा है, क्यों बढ़ा हुआ वेतन नहीं ले रहा है यही मुद्दा विधानसभा में छाया रहा। श्री जोगी ने आगे बताया कि पिछले विधानसभा सत्र में नान घोटाले को लेकर जिस तरह से आवाज बुलंद की गई थी और इस विधानसभा सत्र में उसके बारे में चर्चा तक नहीं होना विपक्ष की भूमिका पर सवालिया निशान उठ रहा है।