अम्बिकापुर
हल्दीबाड़ी पहाड़ो की वादियों से घिरी चिरमिरी की अनोखी छटा यहाँ आने वालों के लिए स्वर्ग सा एहसास कराती थी कभी। चारो तरफ पहाड़, झरनों की कल कल करती ध्वनि, अब धीरे धीरे विलुपति की कागार पर है, छटपटाती चिरिमिरी अपने जिर्णो उद्धार के लिए किसी मसीहा का जहाँ इंतज़ार कर रही वही नगर पालिका मे बैठे अधिकारी इस ओर अब ध्यान भी देना नहीं चाहते। चुकी इस स्थान पर कई पुराने मंदिर है और इस स्थान को यहाँ के निवासी किसी देव् स्थली से कम नहीं मानते, नगर मे आस्था के केंद्र पर जहाँ गंदगी, तथा कई पोल्ट्री फार्म खुल जाने से अब यहाँ साँस लेना भी दूभर हो गया है। यहाँ के बड़े बुजुर्गों की माने तो कभी इस स्थान पर लोग धयान, और भक्ति मे अपने आप को जुड़ा हुआ पाते थे, परंतू पिछले कई सालों से आधधुन्ध पेड़ो की कटाई, और पोल्ट्री फार्मो की भरमार से यह क्षेत्र अब गंदगी का नगर बनता जा रहा,
एन.सी.पी.एच.रेस्ट हॉउस रोड पंचवटी पहाड़ में स्थित भगवान शिव का मंदिर है। जहा हर वर्ष महाशिवरात्रि के पर्व में भव्य मेला लगता है। इसी पहाड़ के नीचे माई की बगिया व नवनिर्माणाधीन माँ काली मंदिर व् देवो का देवालय,ओशो ध्यान केन्द्र, है।प्रकृति का दिया हुआ जल,जो की तुर्रा के नाम से जाना जाता है। बस्ती के लोगो का कहना है कि लगभग 20 वर्ष पहले यहाँ पे 13 तुर्रा से जल निकलता था और इस पानी के नहाने से सिर का दर्द,चर्म रोग से भी छुटकारा मिलता था। पहाड़ो से छान कर निकलता पानी जहाँ कई बीमारियों और औसधी गुणों से भरा होता है,परन्तु आज हालात का मारा यह छेत्र अफसरों की अनदेखी का शिकार हो गया है।
वही चिरिमिरि नगर पालिक निगम बना तो शुरू में महापौर सिंह के द्वारा टंकी,नल,की व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए इस स्थान पर करायी गयी थी,स्थानीय जानो के कथानुसार उसके बाद से आज तक कोई भी प्रतिनिधि इस स्थान को देखने तक नहीं आया। विलुप्त हो चुके 10 झरने मे सिर्फ 3 ही बचे है, ऐसी तरह अगर ध्यान नहीं दिया गया तो बाकी बचे 3 झरने भी किस्से कहानियो मे ही सुन ने के लिए रह जायेंगे। पहले तुर्रा से पानी निकलता था जो बस्ती के लोगो के लिये जीविका का सब से बड़ा स्रोत्र था। अब वो भी पिछले दिनों हुई बारिश में मिट्टी धसकने से बन्द हो गया ।बस्ती के लोग अपने आपस में मिलकर अपनी मेहनत से दो तुर्रा की मिट्टी, पत्थर ,हटाकर जीविका के लिये पानी निकाल ने का रास्ता बनाये, परन्तु यहाँ की दुर्दशा देखने की फुर्सत अब किसे है। नगर निगम द्वारा छोटी टँकी तो यहाँ दी परन्तु सिर्फ दिखावा, जब से यहाँ टंकी रखी गयी तब से यहाँ पानी नहीं है।
क्या कहते है स्थानीय लोग
1,श्रीमती अंजू देवी ने बताया कि इस स्थल पर कभी तेरह प्रकृतिक झरने बहते थे, जो प्रसासन की अनदेखी की भेंट चढ़ गए, चुकी इस पानी से कई प्रकार के रोग दूर होते है, इस लिए पीने से लेकर घरेलु उपयोग मे इसी पानी को उपयोग मे लाते है।
2,श्रीमती द्रोपदी देवी :ने बताया राम नवमी मे दस दिन चलने वाले कार्यक्रम मे इसी पानी का उपयोग वर्सो से करते आ रहे, चुकी पहाड़ो से निकलने वाला यह जल पूर्णतः शुद्ध होता है, और 12 माह उपलब्ध रहता है।लेकिन पिछले कई सालों से कालरियो द्वारा हैवी ब्लास्टिंग किये जाने से पहाड़ कमजोर होते चले गए, साथ ही इस साल की बारिश मे पहाड़ गिरने से 11 झरने बंद हो गए,
3,मान साय ने बताया, की पूर्व मे विधयाक, और महापौर ने इस छेत्र का दौरा कर अस्वासन दिया था कि हम जल्द ही यहाँ की व्यवस्था करवाते है, परंतु आज दिनाँक तक किसी भी प्रकार की सहायता या मदद आम जन तक नहीं पहोंची।
4,श्रीमती सावित्री देवी:ने बताया कि वार्ड क्रमांक 16 मे पानी और बिजली की गंभीर समस्या बनी रहती है, हमने कई बार पत्र लिख कर निगम, कालरी प्रसासन को दिए पर किसी ने ध्यान नहीं दिया
5, राम भरोशे :ने अपनी बात मे बताया कि हमारे दादा और इस वार्ड के बच्चे बुढो ने मिलकर झरने का पानी एकत्रित करने के लिए छोटा तालाब निर्मित किया था, साथ ही महिलाए के नहाने के लिए स्नान घर की व्यवस्था की थी। परंतु नेताओ द्वारा यहाँ छट घाट का निर्माण, और रोजमर्रा के निस्तार के लिए पानी टंकी कु व्यवस्था करने की बात तो कही, पर आप खुद ही देख ले न छट घाट ही पूरा बना और न ही, स्नानागार, न ही टंकी लगी, न ही बिजली,हमारी स्थिति तो दिनों दिन खराब ही होती जा रही, आखिर क्यू ध्यान नहीं देती प्रसासन,एक तरफ कोरिये नीर का उद्घाटन फोटो चल रहा, दूसरी ओर हमारे साथ सौतेला व्यवहार क्यू?
चिरमिरी नगर निगम के महापौर से जब हम इस संबंध मे चर्चा करनी चाही तो उनसे संपर्क नहि हो सका।
श्याम बिहारी जायसवाल… विधयाक मनेन्द्रगढ़
मै 3, से 4 दिन के अंदर वहाँ पर बिजली की समस्या को दूर करने का प्रयास करूँगा, रही पानी टंकी की व्यवस्था की तो उसके लिए साढ़े छह लाख रुपये पूर्व मे ही स्वीकृत हो चूका है, अब काम कहाँ पर रुक हुआ है, मै इस को तत्काल दिखवाता हु।