वाड्रफनगर क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुके आदमखोर भालू को आज दोपहर आखिरकार वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया। वन विभाग ने रायपुर के कानन पेंडारी से आई ट्रेंक्यूलाइजर टीम, पुलिस बल के साथ 3 घण्टे तक अभियान चलाकर मादा भालू को बेहोश करने में सफलता हासिल की। इस अभियान के बाद भालू को अचानकमार अभयारण्य में भेज दिया गया है जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली।
दरअसल क्षेत्र के रघुनाथनगर रेंज अंतर्गत गिरवानी गाँव मे पिछले कुछ दिनों से एक मादा भालू आतंक मचा रही थी। इंसानी खून की आदि हो चुकी इस वयस्क मादा भालू ने 7 नवम्बर को गिरवानी निवासी सविता पति किस्मत के घर मे घुसकर उसपर हमला कर दिया था। इस दौरान अपनी दुधमुंही भतीजी को बचाने महिला ने भालू से काफी संघर्ष किया था। महिला की चीख पुकार सुनकर पहुंचे पति ने ग्रामीणों की मदद से भालू को किसी तरह मार कर बाहर निकाला था परंतु भागते हुए भालू ने महिला के 8 बकरियों को मार डाला था।
इसके पश्चात उसी भालू ने 8 नवम्बर की रात 11 बजे एक ग्रामीण पर हमला कर दिया था। ग्रामीण ने अपने पास रखे कम्बल को भालू के ऊपर फेक कर अपनी जान बचाई थी। इन दोनों घटनाओ के बाद वन विभाग की टीम द्वारा ग्रामीणों को अलर्ट करने के साथ ही सभी को घर के दरवाजे बंद कर सोने और कुछ दिनों तक जंगल मे नही जाने की सलाह दी जा रही थी। इसी बीच 9 नवम्बर को गिरवानी निवासी 42 वर्षीय लक्ष्मण आ. श्यामलाल गोंड़ अपनी पत्नी सुबासो के साथ उसी जंगल मे लकड़ी लेने और बकरी चराने चला गया था। इस दौरान मादा भालू ने कम्पार्टमेन्ट नंबर पी 650 के समीप दंपति पर हमला कर दिया था। इस घटना में भालू ने लक्ष्मण को मौत के घाट उतार दिया था जबकि महिला गंभीर रूप से घायल हों गई थीं। ग्रामीण को मारने के बाद भालू उसके शव के पास ही डटा रहा और उसके शव को नोचकर खाता रहा। घण्टो की मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम भालू को भगाकर शव बरामद कर सकी थी। भालू के लगातर हमले और उसके आदमखोर होने की घटना से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त थी और ग्रामीणों भालू को पकड़ने की मांग कर रहे थे।
वन विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीसीएफ केके बिसेन के निर्देभ और डीएफओ विवेकानन्द झा से मिली अनुमति के बाद भालू को पकड़ने की योजना बनाई थी। इस योजना के तहत बिलासपुर के कानन पेंडारी से रेस्क्यू टीम को बुलाया गया था। रेस्क्यू टीम वैसे तो शुक्रवार को ही पहुंच गई थी परंतु दिन भर चली टॉयरी और सर्वे के बाद रात होने से अभियान को अंजाम नही दिया जा सका।
3 घण्टे चला रेस्क्यू
आज बिलासपुर कानन पेंडारी से आई रेस्क्यू टीम ने वन विभाग और स्थानीय शसस्त्र पुलिस बल के साथ सुबह 9.30 बजे अभियान की शुरुआत की। पिंजरा साथ लेकर पहुंची रेस्क्यू टीम ने कंपार्टमेंट नंबर पी 650 में भालू की पहचान कर उसपर ट्रेंक्यूलाइजर गन से निशाना साध कर डॉट मारा। डॉट पड़ने के कुछ ही समय मे मादा भालू बेहोश हो गई जिसके बाद उसे लगभग 12.30 बजे सुरक्षित तरीके से पिंजरे में बंद कर दिया गया। भालू के कैद होते ही ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। इस अभियान में मुख्य रूप से ट्रेंक्यूलाइजर एक्सपर्ट डॉ पवन कुमार चंदन, एसडीओ अरबी पटेल, रेन्जर प्रेमचंद मिश्रा सहित अन्य सक्रिय रहे।
सर के बाल से की पहचान
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह एक वयस्क मादा भालू है जो कंपार्टमेंट नंबर पी 650 के आस पास ही मौजूद थी। वन विभाग को ग्रामीणों ने बताया था की हमला करने वाले भालू के सर पर सफेद बाल है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के आधार पर ही वन विभाग ने भालू को निशाना बनाया। बालू के कैद होने की सूचना गाँव मे आग की तरह फैल गई और उसे देखने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। ट्रेंक्यूलाइजर गन से डॉट मारने के बाद बेहोश हुए भालू को बिलासपुर कब अचानकमार अभयारण में छोड़ने के लिए रवाना कर दिया गया।