खनिज माफियाओं पर वन विभाग एवं खनिज विभाग के अधिकारियों की दरियादिली

रेत, मुरूम, बोल्डर, का हो रहा अंधाधुंध उत्खनन

अम्बिकापुर
(उदयपुर से क्रांति रावत की रिपोर्ट)

जनपद पंचायत से लगभग चौदह किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत मुड़गांव के घने जंगलों से लगभग एक वर्ष से रोजाना आठ से दस ट्रैक्टर लगातार उदयपुर रेंज से मेन रोड़ से होते हुये हेंड ब्रोकेन, बोल्डर एवं मुरूम बिना पिट पास और बगैर वैध अनुमति के खनन माफियाओं द्वारा परिवहन कर परसा केते ओपन कोल खदान में चल रहे निर्माण कार्याें में उपयोग के लिये ले जाया जाता है। खनिज माफियाओं के द्वारा बेखौफ दिन में ही गाड़ी से लगातार परिवहन किया जाता है।unnamed (3)

अवैध खनन के बारे में ग्रामीणों द्वारा जिला खनिज अधिकारी को मोबाईल से सूचना देने के बाद भी अवैध खनन पर रोक नही लग पा रहा है। वहीं खदान एरिया से सटे अम्बिकापुर बिलासपुर मुख्य मार्ग पर बने अटेम नदी पुल के सौ मीटर के दायरे से खुले आम रेत निकाला जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों का आवागमन उसी मार्ग से होता है फिर भी इस ओर कोई ठोस पहल खनिज विभाग द्वारा नही किया जाना संदेह उत्पन्न करता है।

माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार किसी भी नदी या नाला पर बने पुल से दो सौ मीटर के दायरे पर खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध है। पर खनन माफियाओं के द्वारा सारे नियमों की अनदेखी कर बिना रोक टोक के रेत निकाला जा रहा है । उदयपुर जनपद के अन्य नदी नालों जो कि विभिन्न ग्राम पंचायतों में स्थित है उनसे भी लगातार अवैध रेत निकालने की खबर मिलती रहती है, लेकिन कोई जिम्मेदार अधिकारी सामने नहीं आते कि इस ओर कोई सार्थक पहल हो सके। अधिकारियों के इस रवैये से ग्रामीणों में अधिकारियों के प्रति आक्रोश बढ़़ता जा रहा है जो विकराल रूप ले सकता है । यहां पर वन विभाग के कर्मचारी अधिकारी पौधा रोपण कार्य में इतने व्यस्त है कि उनके सामने या उनके आॅफिस के सामने से गुजरने वाले अवैध रेत, पत्थर, मुरूम लोड ट्रैक्टर एवं हाईवा नजर नहीं आता है।

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जंगल से सटे ग्राम पंचायतों में ब्लाॅक के रसूखदार लोगों का यहां के जंगलों पर जंगल राज कैसे चलता है इसका नजारा सैकड़ों अवैध गमला भट्ठों को देखकर ही समझ आ जाता है। जंगल में थोड़ा अंदर प्रवेश करने पर दौलतपुर, सलबा, घाटबर्रा, मोहनपुर, पंडरीडांड, केदमा, सायर, डूमरडीह, डांडगांव कोटमी, भण्डारगांव, डोई, पण्डरीपानी सहित दर्जनों जगहों पर अवैध ईंट भट्ठों का संचालन हो रहा है । बरसात की वजह से तीन महीने ईंट बनाने का काम भले ही बंद हो पर इस दौरान रसूखदार लोगों द्वारा आगे की तैयारियों के लिए लकड़ी एवं कोयला इन्ही जंगलों से इकट्ठा कराया जाता है। इतने बड़े पैमाने पर चले रहे अवैध ईंट भट्ठों की जानकारी प्रशासन के लोगों को ना हो ऐसा संभव ही नही है। मगर ना जाने किसके दबाव में इन रसूखदार अवैध ईंट भट्ठा मालिकों पर कार्यवाही नहीं होती। सबकी नजरों के सामने इन ईटों को जलाने के लिये जंगल से लकडी को काटा जाता है साथ ही जंगल में कोयले का अवैध खदान खोल कर इनके द्वारा गांव के भोले भाले लड़को को एक रात में मोटी रकम का लालच देकर, बहला फुसला कर रातों रात सायकिल, ट्रैक्टर, मोटर सायकिल एवं पिकअप से ईट भट्ठों तक कोयला चोरी करवा कर पहुंचाया जाता है। खनिज माफियाओं की सक्रियता देखकर सिर्फ इतना कहा जा सकता है खनन माफिया सक्रिय, खनिज एवं वन विभाग निष्क्रिय।