अम्बिकापुर। एसटी, एससी और ओबीसी आरक्षण को लेकर घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस ने नगर के गांधी चौक में मोदी सरकार की आरक्षण विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ एसटी, एससी और ओबीसी के संयुक्त तत्वावधान के बैनर तले जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मी गुप्ता (OBC), सुदामा कुर्रे (SC), ओम प्रकाश (ST) के नेतृत्व में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। जहां कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए।
इस संबंध में कांग्रेस नेता और अम्बिकापुर नगर निगम के पूर्व सभापति सफी अहमद ने बताया कि, एसटी, एससी आरक्षण के संबंध में जो सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया है, और भारतीय जनता पार्टी इसका दुरूपयोग करना चाह रही है। पूरे देश भर में उसके ख़िलाफ़ ये विरोध प्रदर्शन है, की जो संविधान में व्यवस्था दी गई है। उसकी रक्षा करने का काम सुप्रीम कोर्ट को भी करना है। सुप्रीम कोर्ट से हम निवेदन करेंगे कि उनका जो निर्णय है, उस निर्णय पर पुनर्विचार करें।
चूंकि संविधान में जो व्यवस्था दी गई है, की आज यही हमारे बीच में यदि कोई वर्ग पीछे राह गया है या पिछड़ा हुआ है, कमजोर है, तो उसका विशेष रूप से ध्यान रखने का काम भी संविधान के माध्यम से जो व्यवस्था दी गई है। उसका सभी सरकारों को ध्यान रखना है, और साथ ही जो भारतीय जनता पार्टी के द्वारा जो जितने संवैधानिक ढांचे हैं। उसको प्रभावित करने का काम पूरे देशभर में कर रही है। चाहे वो चुनाव आयोग हो, चाहे वो आरबीआई हो। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के जो जज हैं, उनको भी संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करके करना पड़ा कि सुप्रीम कोर्ट के लोगों को भारतीय जनता पार्टी के लोगों द्वारा प्रभावित किया जा रहा है। जिसके कारण आज देशभर में एक चिंता बनी हुई है, की किस हद तक भारतीय जनता पार्टी के लोग संवैधानिक ढांचे को कमजोर कर देंगे।
जहां पे न्याय व्यवस्था खत्म हो जाये। अगर लोगों को ये भरोसा उठ जाए कि, अगर हमारे साथ न्याय होगा या नही होगा, बल्कि जो भारतीय जनता पार्टी के जो लोग हैं, वो बोलेंगे वही कानून बन जायेगा। यदि दूसरा बोलेगा तो वो देशद्रोही कहलायेगा, तो इस विषय मे काफी चिंता पूरे देश भर में जो भारतीय जनता पार्टी के अलावे जो लोग हैं। उनकी ये चिंता है और उसी के खिलाफ ये संघर्ष है और आने वाले समय मे हम पुरजोर तरीके से इसका विरोध भी करेंगे, की किसी भी तरीके से संविधान में जो व्यवस्था दी गई है। उसको ना बदला जाए, बल्कि उसमे पुनः विचार करते हुए निर्णय बदला जाए।