सूरजपुर
ओडगी से शशांक सिंह
प्रधान मंत्री आवास योजना में शुरवात से ही खुलेआम भ्रष्टाचार चरम सीमा पर चल रहा है । और वहीं इस ओर जनपद के अधिकारी मौन बैठे हुए हैं । लेकिन इसमें भी भ्रष्टाचार के दरवाजे अधिकारी बनाने लगे हैं, इंदिरा आवास योजना की ही लागत राशि बढ़ा कर और इसमें कुछ आधारभूत परिवर्तन करके इसका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया गया है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोचा होगा कि इंदिरा आवास योजना में हो रहीं धांधली और कमीशन खोरी को बंद करने का ये आसान तरीका होगा कि इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया जाए । लेकिन पंचायतों में उनसे चार कदम आगे चल रहा है आवास का घटिया सामग्रियों से निर्माण कार्य और मौन बैठकर अधिकारी भी अपना संरक्षण दे रहे हैं । उन्होंने अब बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की वयूह रचना कर डाली है । छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत लगभग ग्यारह लाख मकान बनने है और इस वित्तीय वर्ष प्रदेश सरकार ने दो लाख लोगों को घर देने का लक्ष्य रखा है । प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत अब हितग्राहियों को अपना आवास बनाने के लिए सरकार एक लाख बीस हजार रुपये देगी लेकिन हितग्राहि इस राशि को बस देख सकते हैं या यह कहे कि हितग्राही इस राशि को महसूस कर सकता है । पूरा कारना पंचायत में बैठे सचिव कर लेगे। और हितग्राहियों पर ऐसा दबाव बना देंगे की वह आगे आवाज तक नही उठाने की हिम्मत रख पाता है ।
खुलेआम घटिया सामग्रियों का उपयोग-
ओडगी जनपद क्षेञ के ग्राम पंचायत बेदमी, मसनकी, में खुलेआम घटिया स्तर के ईट का उपयोग कर आवास का निर्माण कराया जा रहा है सूञो से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बेदमी में पंचायत स्तर का एक कर्मचारी हितग्राहियों पर दबाव बना कर जबरन सभी के घरों में घटिया स्तर का ईट गिरवाया दिया है । जहां लाखों रूपये के आवास निर्माण में लकड़ी से जले ईटो का उपयोग खुलेआम हो रहा है और दस तगाडी बालू और एक तगाडी सिमेंट से जोडाई किया जा रहा है । और जनपद के अधिकारी और सब इंजिनीयर मौन बैठे हुए हैं । ना तो आवासो का निरीक्षण करने का फूरसत और ना ही इन अधिकारियों को सामग्रियों के गुणवत्ता से कोई मतलब है। इन अधिकारियों को कागजो पर प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण कार्यो की प्रगति रिपोर्ट एसी रूम में बैठकर चाहिए ।
जबकि कुछ ग्रामीणों ने बताया कि पूरे प्रधानमंत्री आवास में लकड़ी से जला हुआ ईटा का उपयोग किया जा रहा है । वहीं एक ओर प्रधानमंत्री के द्वारा जंगल बचाने और लकड़ी के उपयोग पर रोक लगाने के ध्येय से प्रधानमंत्री उजवला योजना के तहत गरीब परीवारो को नि: शुल्क गैस कनेक्शन दिया जा रहा है । और वहीं एक ओर वन विभाग की लापरवाही के कारण खुलेआम लोग जंगल से लकड़ी काटकर ईटा जलाकर बेचने का काम कर रहे हैं । और वन अमला के द्वारा जपती करने की बजाय मौन समर्थन दिये हुए हैं ।