रायपुर 08 अक्टूबर 2014
छत्तीसगढ़ प्रदेष कांग्रेस कमेटी, इस ज्ञापन के माध्यम से प्रदेष के किसान भाईयों को हो रही विभिन्न समस्याओं की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहती है कि राज्य में भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव 2013 में अपने संकल्प पत्र (घोषणा पत्र) में स्पष्ट उल्लेख किया था कि:-
(1) धान का समर्थन मूल्य 2100 रू. प्रति क्विंटल किये जाने का पहल करेंगे।
(2) पांच वर्षो तक प्रति क्विंटल 300 रू. बोनस के रूप में दिया जायेगा।
(3) किसान भाईयों के ऊपज की एक-एक दाना सरकार द्वारा खरीदा जायेगा।
(4) धान खरीदी हेतु जारी पंजीयन प्रक्रिया को समाप्त कर किसानो के ऋण-पुस्तिका के आधार पर खरीदी की जाये।
किन्तु राज्य मंत्री परिषद द्वारा किसान विरोधी नीति लागू करते हुये किसानो की ऊपज से प्रति एकड़ मात्र 10 क्विंटल धान खरीदने का निर्णय लिया गया है। चूंकि छत्तीसगढ़ प्रदेष कृषि आधारित राज्य है और यहां की 85 प्रतिषत जनसंख्या कृषि पर निर्भर रहते है। प्रदेष में किसान उन्नत कृषि तकनीक अपना कर, अपने कठोर परिश्रम से प्रति एकड़ लगभग 20-25 क्विंटल तक का रिकार्ड उत्पादन लेने के बावजूद कृषि कार्य के अंतिम समय तक कर्ज में डूबे रहते है।
इस प्रकार सरकार की प्रति एकड़ धान खरीदी के लिये सिर्फ 10 क्विंटल की मात्रा निर्धारित करने से छत्तीसगढ़ के किसान हतोत्साहित है। निष्चित रूप से यह निर्णय किसानों को आर्थिक पिछड़ेपन की ओर ले जाएगा। भाजपा सरकार का यह निर्णय छत्तीसगढ़ की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर देगा।
धान के समर्थन मूल्य पर बोनस राषि पर स्पष्ट घोषणा/नीति तय नहीं कर भाजपा सरकार किसानो के साथ छलावा कर रही है।
प्रदेश में अधिकतर वर्ष धान खरीदी 1 नवंबर से ही प्रारंभ किया जाता रहा है, गतवर्ष 21 अक्टूबर से धान खरीदा गया था, किन्तु इस वर्ष राज्य सरकार ने धान खरीदी का तिथि 1 दिसंबर निर्धारित किया है, इससे किसानों के कम समय में आने वाली धान की ऊपज को मजबूरी में किसान औने-पौने दाम पर बिचैलियों को बेचने के लिये विवष होंगे।
प्रदेष कांग्रेस कमेटी आपसे आग्रह करती है कि राज्य सरकार द्वारा जारी किसान विरोधी नीतियों पर हस्तक्षेप करते हुये धान का समर्थन मूल्य 2100 रू. प्रति क्विंटल किये जाने तथा घोषणा-पत्र अनुसार बोनस राषि प्रति क्विंटल 300 रू. किसानो को देने स्पष्ट किये जाने हेतु राज्य सरकार को निर्देषित करने की कृपा करेंगे।
छत्तीसगढ़ प्रदेष कांग्रेस कमेटी की ओर से पकलू और बुधराम सोना राजभवन जाकर ज्ञापन देने गये।