अम्बिकापुर कम्बल वाले बाबा के शिविरों पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद स्वास्थ विभाग बैक फुट में जाता दिख रहा है.. इसे बाबा की ऊंची पहुँच मना जाए या कुछ और फ़िलहाल इस मामले में एक बड़ा ही दिलचस्प वाकया सामने आया है.. सरगुजा जिले के मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी ने अपने हस्ताक्षर से प्रेस नोट जारी किया है की उन्होंने कम्बल बाबा के शिविर पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया है और ना ही कम्बल बाबा से उनका कोई लेना देना है.. पत्र में यह भी लिखा गया है की यह धार्मिक आस्था का मामला है.. वो इस मामले से कोई सरोकार नहीं रखते है..
बहरहाल अंध श्रद्धा अनुमूलन की शिकायत के बाद स्वास्थ विभाग ने पहले तो कम्बल बाबा के शिविरों को बंद कराने सभी बीएमओ को पत्र जारी किया और अब अचानक ना जाने ऐसी कौन सी आफत आन पडी की अक्सर मीडिया से भागने वाले जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मीडिया के माध्यम से यह बताना चाहते है की कम्बल वाले बाबा से उनका कोई सरोकार नहीं है और न ही उन्होंने प्रतिबन्ध लगाया है..
वही बाबा जिस तरह से खुद को भाजपा का प्राचारक बताने का दावा करते है जाहिर है की वो सरकार के भी करीबी है.. क्योकी उनके इस बयान पर अभी तक कोई आपत्ति भी भाजपा ने नहीं की है और गृह मंत्री से उनकी नजदीकियाँ जग जाहिर है.. ऐसे में शिविरों पर प्रतिबन्ध लगना वैसे भी लोगो के गले से नीचे नहीं उतर रहा था और फिर अब तो बाबा सियासी हो चुके है.. भाजपा को सरगुजा में जीत दिलाने का दावा भी कर रहे है.. साथ ही एक विधायक सहित 42 सरपंचो को भाजपा प्रवेश कराने की बात कह रहे है.. ऐसे में सरकार भला उन पर कैसे मेहरबान नहीं होगी..?