औद्योगिक क्षेत्र के विकास की बाढ मे फंसे डेढ दर्जन परिवार के लोग…….

अम्बिकापुर 

सरगुजा जिले मे जंहा कुछ दिन पहले तक इंद्रदेव की मेहरबानी के लिए लोग पूजा अर्चना कर रहे थे । वही पिछले तीन दिनो की बारिश ने शहर के गंगापुर इलाके मे तबाही मचा दी है,, हांलाकि ये तबाही बारिश की वजह से कम सी एस आई डी एस द्वारा विकसित किए जा रहे औद्योगिक क्षेत्र की वजह से ज्यादा हुई है। इधर इस विपदा के वक्त जंहा प्रशासन ने अपनी सरकारी चाल से कारवाही शुरु कर दी है, तो वही जलमग्न क्षेत्र के लोग बस्ती से पलायन को मजबूर हो गए है।

 

नए परिसीमन के बाद अम्बिकापुर नगर निगम मे शामिल गंगापुर इलाके मे इन दिनो आफत का आलम पसरा है,, दरअसल सरगुजा जिले मे पहली बारिश के तीसरे दिन ही गंगापुर के उस इलाके मे पानी भर गया है, जंहा कुछ महीनो से औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए प्रशासन जोर आजमाईश मे जुटा है। प्रशासन की जोर आजमाईश और बारिश के दौरान गंगापुर इलाके के तकरीबन 16 घरो जलमग्न होने की कगार पर है,, जिसमे से 6 घर मे रहने वाले लोग तो पूरी तरह बारिश के पानी की घेरे मे आकर बेघर हो चुके है।Untitled_0069 002 (7) Untitled_0069 002 (7) Untitled_0069 002

 

गंगापुर की इस बस्ती मे जंहा 6 घर मे पानी पूरी तरह से प्रवेश कर चुका है , वही 10 से अधिक घर आज रात का बारिश मे जलमग्न हो सकते है। इधर रविवार और सोमवार की दरमियानी रात हुए मूसलाधार बारिश के बाद आज नगर निगम और प्रशासन के अधिकारी मौके पर जरुर पंहुचे, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र के विकास को इस समस्या का जड बता कर उन्होने भी कुछ करने का आश्सवान दिया है,,

 

जानकारी के मुताबिक गंगापुर के इस इलाके मे औद्योगिक विकास के कारण एक नाले को बंद कर दिया गया था , और जगह जगह पर गड्ढे खोद दिए गए थे, जिसके परिणाम स्वरुप इस इलाके से बारिश का पानी बाहर ही नही निकल पा रहा है। और अब  बारिश का जमा हुआ बाढ की शक्ल ले चुका है। और बाढ का स्वरुप इतना भयानक हो गया है, कि लोग घरो से बाहर और पानी उनके घऱो मे प्रवेश कर चुका है। आलम ये है कि निचली बस्तियो मे रहने वाले कुछ लोग तो अपने जरुरी सामान समय रहते निकाल लिए थे। लेकिन कुछ लोगो की सामान मे गरीबी मे आटे की तरह गीला हो चुका है।

 

बारिश के समय छत से महरुम इन लोगो के घरो मे पानी और ये घर मे रहने वाले लोग घर से बाहर अपना ठिकाना खोजते नजर आ रहे है। हांलाकि इस बीच नगर निगम ने पास के सामुदायिक भवन मे इनके रहने का इंतजाम जरुर किया है। लेकिन जिसका खुद का आशियाना डल झील की हाउस बोट बन गया हो,, उसको भला सरकारी छत के नीचे नींद कैसे आएगी।