रायपुर16 जनवरी 2015
एनआईए के पुलिस अधीक्षक द्वारा लगातार समाचार पत्र प्रतिनिधियों से चर्चा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेष कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष षैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जीरम जैसे महत्वपूर्ण मामले में प्रस्तुत की गयी गैर जिम्मेदाराना जांच रिपोर्ट से एनआईए की निश्पक्षता पर सवालिया निषान खड़े हो गये है। 25 मई 2013 को हुये जीरम हमले के बाद से जनमानस में लगातार उठ रहे सवालों का उत्तर एनआईए जांच से मिलने की आषा थी लेकिन एनआईए की जांच की दिषा में भाजपा की सरकार बनते ही बदलाव आया है। यह बात भी गलत है कि चष्मदीद गवाहों ने जीरम मामले में गवाही देने से इंकार किया है। जीरम में जिन लोगों का खून बहा जो मारे गये उनके परिजनों और घायलों की स्पश्ट मंषा है कि जीरम मामले में दोशियों को सजा मिलनी ही चाहिये। 23 मई 2013 को बीजापुर विधानसभा के भैरमगढ़ और दंतेवाड़ा विधानसभा के कारली में कार्यक्रम हुआ तो हर पुल-पुलिया पर और 10-10 मीटर की दूरी पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था थी। 24 मई को जगदलपुर और बकावंड के कार्यक्रमों में भी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था थी। 25 मई 2013 को जिस दिन हमला हुआ उसी दिन सारी सुरक्षा व्यवस्था क्यों नदारद थी? इस प्रष्न का उत्तर एनआईए की अंतिम रिपोर्ट से नहीं मिल रहा है। माओवादी नंदकुमार पटेल, दिनेष पटेल, दीपक कर्मा को क्यों पूछ रहे थे? इस सवाल का उत्तर एनआईए की रिपोर्ट ने क्यों नहीं दिया? प्रदेष कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष षैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जीरम में 25 मई 2013 की घटना के बाद पूरे छत्तीसगढ़ और पूरे देष में भाजपा सरकार को बर्खास्त कर राश्ट्रपति षासन लागू करने की मांग उठी भी, राश्ट्रपति षासन लागू हो जाता तो जिन्होनें जीरम मामले के जांच में बाधा डाली है। वही अधिकारी सारे सूत्रों को और सबूतों को उजागर करने में लग जाते। जीरम घाटी कांड एक हत्याकांड है जो शड़यंत्रपूर्वक किया गया। जो इस शड़यंत्र में षामिल रहे है इस शड़यंत्र का जो लाभ उठाना चाह रहे थे और जिनके इस शड़यंत्र का लाभ उठाया है, वे ही सच्चाई को कैसे उजागर होने दे सकते है? रमन सिंह से पूछताछ की जरूरत नहीं का एनआईए द्वारा प्रमाणपत्र जारी करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेष कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष षैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह ने पहले जीरम में कांग्रेस नेताओं की षहादत को सुरक्षा में हुई चूक बताया था जबकि इसी मामले में यह भी कहा था कि सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त थी। यदि पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था थी तो जीरम में नरसंहार कैसे हुआ और यदि चूक हुयी थी तो उसके लिये गुनाहगारों को पहचान कर चिन्हित क्यों नहीं किया गया? क्यों इस सवाल का उत्तर एनआईए को रमन सिंह से पूछना नहीं चाहिये था? एनआईए पर मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं कि न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट तो आने दीजिये। मुख्यमंत्री रमन सिंह की यह प्रतिक्रिया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मुख्यमंत्री रमन सिंह को क्या यह नहीं मालूम कि आयोग की जांच के विशय क्या है? अपराध और अपराधी आयोग का विशय नहीं है। अन्वेशण और विवेचना आयोग के क्षेत्राधिकार में नहीं है। जिसे अन्वेशण और विवेचना करनी थी, उस एनआईए ने तो अन्वेशण और विवेचना नहीं की। अब जांच आयोग से मामले के अन्वेशण और विवेचना की अपेक्षा कर पुलिस की भूमिका निभाने की बात सरकार के मुखिया रमन सिंह के द्वारा की जा रही है।