समिति के फंड का सदुपयोग कैसे होगा पशु पालको के लिए
अम्बिकापुर
देश दीपक “सचिन”
जिले में पशुओ के रख रखाव व इलाज के लिए पशु पालन विभाग के द्वारा जिला पशु रोगी कल्याण समिति का गठन किया गया है लेकीन पिछले एक साल से समिति की बैठक ना होने की वजह से रोगी कल्याण समिति के फंड में जमा राशी का उपयोग नहीं हो पा रहा है। दरअसल पशु रोगी कल्याण समिति की बैठक हर तीन महीने में कर के आय और व्यय का अनुमोदन किया जाना था जिससे पशु रोगी कल्याण समिति में आने वाले फंड का उपयोग पशुओ और पशु पालको की भलाई के लिए किया जा सके।
जिले के पशु चिकित्सालयों में पशु के इलाज के लिए पांच रुपये, कृतिम गर्भ धारण के लिए दस रुपये और माइनर सर्जरी के लिए पच्चीस रुपये का शुल्क पशुपालको से पशु रोगी कल्याण समिति के माध्यम से लिया जाता है जिसका उद्देश्य जमा पैसो से पशु पालको की बेहतरी के करना ही है लेकिन एक साल से समिति की बैठक ही नहीं होने से जमा राशी सहित समिति के सभी कार्यकलाप ठन्डे बस्ते में पड़े है।
जानकारी के अनुसार सरगुजा विभाजन के समय से ही पशु रोगी समिति के खाते में दो लाख रुपये रखे हुए है लेकिन जिला विभाजन के इतने बरस बीत जाने के बाद भी इन पैसो का बँटवारा भी अब तक नहीं हो सका है। लिहाजा ऐसे में रोगी कल्याण समिति के रास्ते पशुओ का कल्याण संभव नहीं दिख रहा है। वही पशु विभाग की उदासीनता का पर्याय इससे पहले भी जग जाहिर हो चुका है जब जिले में एक वर्ष में महज 58 पशुओ का बीमा पशुधन बीमा योजना के तहत किये जाने का खुलासा हुआ था। एक बार फिर पशु विभाग रोगी कल्याण समिति को एक वर्ष से गर्त में डाले बैठा हुआ है।
गौरतलब है की पशु रोगी कल्याण समिति में जिले के कलेक्टर अध्यक्ष होते है और पशु विभाग के उप संचालक समिति के सचिव होते है। इसके अलावा शासकीय व अशासकीय सदस्य व क्षेत्र के दो विधयाक भी पशु रोगी कल्याण समिति के सदस्य है। लेकिन जब पशु विभाग ने रोगी कल्याण समिति की बैठक आयोजित ही नहीं की तो अध्यक्ष या कोई भी सदस्य क्या करेगा।
डॉ.एस.पी.सिंह उप संचालाक पशु विभाग
इस सम्बन्ध में पशु विभाग के उप संचालक डॉ एस.पी. सिंह ने बड़ा ही गैर जिम्मेदाराना जवाबा दिया साहब ने कहा की इसका प्रोसेजर मुझे पता नहीं है और बिना फ़ाइल देखे मै कुछ भी नहीं बता सकता आप मुझे समय दीजिये और आकर मिलये तो मै जानकारी दे सकता हूँ..पर साहब से सवाल था की लापरवाही क्यों की गई एक साल में आखिर क्यों पशु रोगी कल्याण समिति की बैठक नहीं की जा सकी लेकिन इन सवालों के जवाब पशु विभाग के जिम्मेदार अधिकारी के पास नहीं थे।