अम्बिकापुर. शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक डॉक्टर और दो नर्स को मरीज के इलाज में लापरवाही बरतना भारी पड़ गया.
दरअसल मामला 03 जनवरी का है. जब चाँदनी चौक निवासी हरिश गुप्ता की तबियत अचानक रात के 01 बजे बिगड़ गई. और उसके बेटे ने पड़ोसी की मदद से स्कूटी की मदद से जैसे-तैसे बीमार पिता को अस्पताल पहुँचाया. जहां आपातकालिन कक्ष से उन्हें आईसीयू में एडमिट करने का लेटर तो मिल गया. लेकिन आइसीयू में सो रही स्टाफ की असंवेदनशीलता की वजह से बीमार मरीज 15 मिनट से भी अधिक समय तक बिना इलाज के पड़ा रहा. नोंक-झोंक के बीच मरीज को बेड तो मिल गया. लेकिन इलाज नहीं मिला. क्योंकि वहाँ कोई योग्य डॉक्टर मौजूद नहीं था. और नतीजा यह हुआ कि रात के लगभग तीन बजे मरीज हरीश गुप्ता की मौत हो गई. मौत के बाद मृतक के परिजनों ने यह आरोप लगाया कि इलाज में घोर लापरवाही बरती गई है.
स्वास्थ्य मंत्री तक पहुँची शिकायत
वहीं इस मामले की शिकायत परिजनों ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से की थी. तथा शिकायत के बाद मंत्री जी ने 48 घंटे के अंदर जिले के कलेक्टर से जांच प्रतिवेदन मंगवाया. और जांच में डॉक्टर और नर्सों द्वारा लापरवाही बरतना सही पाए जाने के बाद उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया.
नर्सों की लापरवाही और डॉक्टर साहब भी ग़ायब
जांच में पता चला कि 03 जनवरी की रात शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ड्यूटी पर उपस्थित मेल वार्ड के नर्स प्रीति सिंह व आईसीयू की स्टाफ नर्स गायत्री यादव ने मरीज हरीश कुमार गुप्ता के इलाज में घोर लापरवाही की. वहीं आईसीयू में ड्यूटी में तैनात डॉक्टर डॉ ललित अग्रवाल भी ड्यूटी के समय गायब थे. जिससे मरीज को सही इलाज नहीं मिल पाने से उसकी मौत हो गई.