अम्बिकापुर
छत्तीसगढ में कोयले के माध्यम से रेल्वे को सबसे अधिक राजस्व देने वाला सरगुजा अंचल ,,बेहतर रेल सुविधाओ के लिए वर्षो से आंसू बहा रहा है,, लेकिन क्षेत्र के रोने की आवाज शायद हजार किलोमीटर दूर नईदिल्ली के रेलभवन तक नही पंहुचती है। और यही वजह है कि संभाग के आम से खास तक रेल सुविधाएं बढाने के लिए हर बार पुरानी मांग को नए अंदाज से उठाते रहते है, लेकिन रेल मंत्रालय आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की जायज मांग को भी अंदेखा कर देता है।
दक्षिण पूर्वी मध्य रेल ,बिलासपुर जोन के अंतर्गत आने वाले सरगुजा संभाग की रेलगाडियो को बैलगाडी के नाम से जाना जाता है। अनूपपुर से अम्बिकापुर तक चलने वाली तीन-चार ट्रेनो मे एक ही ट्रेन ऐसी है, जो अम्बिकापुर से सबसे लंबी दूरी तय करके दुर्ग तक जाती है। इसके अलावा अम्बिकापुर-शहडोल के अलावा कोई ऐसी ट्रेन नही है जिससे लोग बिना ट्रेन बदले पडोसी राज्यो तक पंहुच सके। मतलब अगर आप अम्बिकापुर से अनुपपुर तक किसी रेल्वे स्टेशन से ट्रेन मे बैठे है तो भोपाल,दिल्ली,मुबंई, कलकत्ता , इलाहाबाद और कटनी जैसे मुख्य शहरो तक पंहुचने के लिए क्षेत्रवासियो को दो से तीन ट्रेन बदलना ही पडता है,, लिहाजा इस बार के रेल बजट मे भी क्षेत्र के लोगो को उम्मीद तो बहुत है , लेकिन पुरानी मांग अब तक ना पूरा होने की वजह से उम्मीद भी निराशाजनक है..
छत्तीसगढ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव ने दिल्ली तक नई ट्रेन चलाने और जबलपुर एक्सप्रेस को प्रतिदिन करने और बिलासपुर आकर रुकने वाली लंबी दूरी की ट्रेनो को अम्बिकापुर तक लाने की मांग के साथ कुछ ही क्षेत्र मे रेल के कुछ बुनियादी विकास की मांग रेल मंत्री को भेजे गए एक पत्र मे की है। साथ ही अम्बिकापुर-बरवाडीह रेल मार्ग के कार्य को जल्द शुरु कराने की मांग भी उनके द्वारा की गई है। वही दूसरी ओर बजट का रोना रो रहे बिलासपुर रेल जोन प्रबंधन ने किसी नई ट्रेन मिलने की बात को तो सिरे से नकार दिया है,, लेकिन बरवाडीह रेल मार्ग के कार्य के जल्द शुरु होने की संभावनाए जरुर जताई है।
अम्बिकापुर-बरवाडीह तक 182 किलोमीटर तक नई रेल लाईन स्वीकृत होकर उसको बजट मे शामलि कर लिया गया है,, लेकिन इस रेल लाईन को अब भी उस राशि का इंतजार है,, जिसके सहारे रेल लाईन बनना है। बहरहाल कई नई ट्रेनो की पुरानी मांगो को पुलिंदा अलग अलग मंचो के माध्यम से रेल मंत्रालय तक इस बार भी पंहुच गया है। लेकिन देखना है कि क्षेत्र की रेल सुविधा के लिए रेल मंत्रालय की नजरे कब तलक ईनायत होती है।