अवैध ईट भट्ठो के संचालन में प्रशासन का क्या फायदा ?

नगर व आसपास के कोयलांचल व ग्रामीण इलाकों में इन दिनों ईंट भट्ठों की बाढ़ सी आई हुई है।

क्षेत्र के बड़े इलाके सहित ग्रामीण क्षेत्रो में अंधाधुन अवैध ईट भट्ठे संचालित हो रहे है

कोरिया( बैकुण्ठपुर से J.S.ग्रेवाल की रिपोर्ट)

नामचीन इलाको की बात करे तो नगरीय निकाय क्षेत्र का बडा बाजार ,गोदरीपारा, सहित पटना सोनहत और बैकुण्ठपुर में  दर्जनों ईंट भट्ठे चल रहे हैं। इनमें चोरी का कोयला खपाया जा रहा है। पुलिस, खनिज, राजस्व व वन विभाग के अधिकारी इनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करते  जिससे सरकार को हर माह राजस्व की क्षति हो रही है साथ ही ईंट उद्योग संबंधी सरकार के कानून की इस क्षेत्र में धज्जियां उड़ रही हैं। खादी ग्रामोद्योग ने प्रदूषण फैलाने वाले ऐसे ईंट उद्योगों को बंद कर चीनी पद्धति पर आधारित प्रदूषण रहित ईंट उद्योग लगाने की घोषणा की थी। हालत यह है कि सालों बाद भी ऐसे ईंट भट्ठे नजर नहीं आ रहे। अलबत्ता प्रशासनिक स्तर पर बरती जा रही लापरवाही से क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वालों की बाढ़ आ गई है। गांव-गांव में ईंट भट्‌ठे लग रहे हैं ब्लाॅक मुख्यालय व आसपास के गांवों में दर्जनों ईंट भट्‌ठे हैं।


 ईंट भट्ठों में खपाया जा रहा चोरी का कोयला
ईंट भट्ठा लगाने वालों को कोयला आसानी से मिल रहा है। कुछ ठेकेदार तो ईंट भट्ठे के लिए कोयला चोरी कर रहे हैं। क्षेत्र के बडा बाजार, गोदरीपारा, सहित पटना सोनहत,बैकुण्ठपुर , सिद्धबाबा पहाड़, चनवारीडांड़, घुटरा व पेंड्री में अवैध रूप से दर्जनों अवैध कोयला खदानें चल रही हैं। इनसे रोज चार-पांच ट्रक कोयला चोरी हो रहा है। वन व राजस्व भूमि कोयला चोरी से खोखली हो रही है। संबंधित विभाग के अधिकारी अवैध ईंट भट्ठों की जांच के नाम पर केवल वैध ईंट भट्ठों की ही जांच करते हैं। कागज पर सब कुछ सही संचालित होना दर्शाकर ऊपर जांच प्रतिवेदन भेज दिया जाता है। वास्तविकता यह है कि खनिज व राजस्व विभाग अवैध रूप से संचालित ईंट भट्ठों की जांच के लिए जाता ही नहीं है। 
शासन के आदेश की अवहेलनाbrick kilns in operation 1
सरकार ने शासकीय निर्माण कार्यों में मिट्टी की सामान्य ईंटों की जगह फ्लाई एश ब्रिक्स का प्रयोग करना अनिवार्य किया गया है। इसके बाद भी जनपद पंचायत ने गांव-गांव में टॉयलेट बनाने के लिए इस्टीमेट में मिट्टी की ईंटों को शामिल किया है। इतना ही नहीं जनपद पंचायत द्वारा सरपंच सदन बनाने में भी मिट्टी की लाल ईंटों का प्रयोग किया जा रहा है। नगर पालिका प्रशासन भी निर्माण कार्यों में इन्हीं ईंटों का इस्तेमाल कर रहा है। 
फ्लाई एेश ब्रिक्स उद्योग बंद होने की कगार पर
जिले के ग्राम शंकरगढ़, कछौड़, बरबसपुर, नागपुर, खड़गवां, बैकुण्ठपुर, केल्हारी में दो व जनकपुर में तीन स्थानों पर फ्लाई एेश ब्रिक्स बनाई जा रही है। लेकिन फ्लाई एेश ब्रिक्श का इस्तेमाल नहीं करने से अवैध ईंट भट्ठा लगाने वाले मालामाल हो रहे हैं। वहीं बैंक से कर्ज लेकर शासकीय नियमों का पालन करते हुए फ्लाई एेश ब्रिक्स बनाने वालों को आर्थिक क्षति हो रही है। कुछ फ्लाई एेश ब्रिक्स उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं।