अम्बिकापुर नगर निगम की राजनैतिक यात्रा

nager nigam ambikapur
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अम्बिकापुर 

वर्ष 2003 मे नगर पालिका अम्बिकापुर के नगर निगम बनने की घोषणा हुई।  2003 की इस घोषणा के बाद वर्ष 2004 मे अम्बिकापुर नगर निगम का चुनाव हुआ। और पिछले दो पंचवर्षीय से अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित अम्बिकापुर नगर पालिक निगम मे दोनो की ही बार भाजपा का कब्जा रहा। और अब तीसरी बार अम्बिकापुर नगर निगम के चुनाव मे भाजपा जंहा हैट्रिक का दांव खेलेगी वही कांग्रेस खाता खोलने के लिए एडी चोटी का जोर लगाएगी।

छत्तीसगढ राज्य के गठन के बाद जोगी सरकार मे अम्बिकापुर को नगर पालिका से नगर निगम का दर्ज मिला था। नगर पालिका के समय मे अम्बिकापुर नगर पालिका मे कांग्रेस का एकतरफा दबदबा हुआ करता था। लेकिन वर्ष 2003 मे नगर निगम के दर्जा प्राप्त होने के बाद डेढ वर्ष प्रशासनिक कार्यालय मे बीता और जब 2004 मे नगर निगम के पहला चुनाव हुआ तो भाजपा ने संरपच से अपनी राजनैतिक शुरुआत करने वाले पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रबोध मिंज के साथ चुनावी दांव खेला। प्रबोध मिंज ने स्वर्गीय विद्याचरण के साथ कांग्रेस का हाथ छोड कर भाजपा मे आए थे। और आदिवासी समाज के साथ ही मसीही समाज मे उनकी अच्छी पेंठ थी। लिहाजा 2004 के चुनाव मे प्रबोध मिंज ने , कांग्रेस के अपने निकटतम प्रतिद्दंदी और पूर्व सांसद चक्रधारी सिंह को महापौर के चुनाव मे पटखनी देते हुए जीत दर्ज की थी। भाजपा के महापौर ने इस पहले चुनाव मे कांग्रेस के चक्रधारी सिंह को तकरीबन 10 हजार मतो से परास्त किया था। इधर 40 पार्षदो वाली अम्बिकापुर नगर निगम चुनाव मे महापौर की सीट पर काबिज होने के साथ ही भाजपा के 16 पार्षद भी चुनाव जीत कर आए । तो कांग्रेस के खाते मे 16 पार्षद और 2 निर्दलीय पार्षद जीत कर निगम तक पंहुचे।

वर्ष 2004 के नगर निगम चुनाव के बाद पूरे प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव के साथ ही दूसरी बार 2009 मे अम्बिकापुर नगर निगम का चुनाव भी हुआ। और इस बार भी ये सीट अनुसूचित जनजाति मुक्त वर्ग के लिए आरक्षित थी। अम्बिकापुर नगर पालिक निगम के लिए दूसरी बार 2009 मे हुए नगरीय निकाय चुनाव मे भाजपा ने अम्बिकापुर महापौर पद के लिए फिर से प्रबोध मिंज पर भरोसा जताया। इस बार भाजपा के पास विकास और शहर के सौन्दर्यीकरण का अहम मुद्दा था। लेकिन कांग्रेस के पास अपुष्ट भ्रष्टाचार के मुद्दो के सिवाय और कुछ नही था। लिहाजा इस बार उन्होने लुण्ड्रा के पूर्व विधायक रामदेवराम को अपना महापौर उम्मीदवार बनाया । लेकिन 47805 मतदाताओ वाले अम्बिकापुर नगर निगम मे इस बार भी भाजपा के प्रबोध मिंज ने चुनाव मे फतह हासिल कर ली। लेकिन इस बार हार जीत का अंतर मजह 15 सौ 69 वोटो का था। 2009 के इस चुनाव मे भाजपा के प्रबोध मिंज को जंहा 23,315 मत मिले वही कांग्रेस के रामदेव राम को 21,746 मत प्राप्त हुए थे। जो कांग्रेस के लिए थोडी खुशी वाली बात जरुर थी। लेकिन 40 पार्षदो मे से कांग्रेस के पिछली बार जंहा 16 पार्षद थे ,,वही इस बार के चुनाव मे 15 पार्षदो मे ही कांग्रेस को संतोष करना पडा।

अब अम्बिकापुर नगर निगम मे 2010 मे तीसरी बार नगर पालिक निगम का चुनाव होना है। और इस बार भी यंहा के महापौर पद के लिए ये सीट अनुसूचित जनजाति मुक्त वर्ग के लिए आरक्षित है। तो निगम बनने के बाद कांग्रेस इस सीट पर पहला स्कोर करने के लिए आतुर होगी। तो वही भाजपा किसी भी तरह तीसरी बार इस सीट को हथियाने का प्रयास करेगी। लेकिन अब ये देखना है कि अत्यधिक जागरुक हो चुकी जनता के बीच दोनो की प्रमुख दल किस तरह के उम्मीदवार चुनाव मैदान मे उतारती है। लेकिन 40 सीटो वाले अम्बिकापुर नगर निगम मे आठ नए वार्ड जुडने के बाद इनकी संख्या 40 से बढकर 48 हो गई है। और ऐसे मे शहर के आस पास के कई ग्रामीण क्षेत्र निगम मे शामिल हुए है। जंहा बुनयादी सुविधाएं और विकास प्रबल मुद्दा बन सकते है। लिहाजा इस बार अम्बिकापुर नगर निगम का चुनाव दोनो ही दल नए और युवा प्रत्याशियो के साथ लडने की तैयारी मे नजर आ रहे है। लेकिन ऐसे मे ऊंठ की करवट का अंदाजा लगा पाना तभी संभव है । जब दोनो दल अपने अपने प्रत्याशियो की घोषणा करेंगे।