बलरामपुर (कृष्ण मोहन कुमार) जिले के एकमात्र संरक्षित वन सेमरसोत अभ्यारण्य को सुरक्षित बचा पाने में वन अमला नाकामयाब है,और लकड़ी तस्कर धड़ल्ले के साथ अभ्यारण्य में हरे भरे पेड़ो की अंधाधुंध कटाई कर रहे है,वैसे तो सेमरसोत अभ्यारण्य के अंतर्गत दर्जन भर गाँव बसे हुए है,यही नही अभ्यारण्य क्षेत्र में ज्यादातर हिंसक वन्यजीवों का बसेरा है,बावजूद इसके विभाग अवैध कटाई पर कार्यवाही करने में दिलचस्पी नही दिखा रहा है।
हरियाली पर लगा बट्टा…
दरसल बलरामपुर ब्लाक का गाँव कंडा एनएच 343 से दस किलो मीटर अंदर सेमरसोत अभ्यारण्य के बीचों बीच बसा हुआ है,गाँव की आबादी भी कुछ खास नही है,वही लकड़ी तस्कर इस गाँव के बसाहट के बाद से लगे घने जंगलों में पेड़ो की अंधाधुंध कटाई कर रहे है,और पहले कभी वनांचल के रूप प्रसिद्ध इस वन में हरे भरे पेड़ो की जगह अब केवल ठूंठ ही बचे हुए है,यह ठूंठ इस बात की गवाही देते है,की किस कदर वन अमला अपने दायित्वों का निर्वहन नही कर पा रहा है,और तस्कर कैसे धड़ल्ले से लकड़ी की तस्करी पर आमादा है।
हिंसक वन्यप्राणियों की गाँवो में आमद,देती है गवाही…
सेमरसोत अभ्यारण्य में हिंसक वन्य प्राणियों में ज्यादातर भालुओ का बसेरा है,और यदा कदा हाथियों का झुंड भी इस अभ्यारण्य क्षेत्र में विचरण करते पाया गया है,यह इस बात गवाही देता है कि गाँव वाले हाथियों और भालुओ से कितने प्रभावित है,बावजूद इसके अभ्यारण्य क्षेत्र का वन अमला पेड़ो की अवैध कटाई नही रोक पा रहा है,और घने जंगलो में पेड़ो की कम होती तादाद के चलते अब वन्यजीव भी अपना रुख गाँवो की ओर कर रहे है।
पेड़ लगाने से ही कुछ नही होगा..
जानकारों की माने तो 1980 से लेकर 90 तक सेमरसोत अभ्यारण्य में हरे भरे पेड़ो की बेदम कटाई हुई थी,और पहले कभी घना जंगल हुआ करता था,वह क्षेत्र अब मैदान में तब्दील होकर रह गया है,ऐसा नही है कि वर्तमान समय मे पेड़ नही काटे जा रहे है,वर्तमान समय मे भी बेशकीमती प्रजाति के हरे भरे पेड़ अवैध कटाई के चपेट में है।
वर्तमान में नही हो रही कार्यवाही..
सेमरसोत अभ्यारण्य 1978 में अस्तित्व में आया ,वैसे तो अभ्यारण्य क्षेत्र घोषित करने सरकार ने 1973 से कवायद शुरू की थी,और यह अभ्यारण क्षेत्र 431.30 स्क्वेयर किलोमीटर तक फैला हुआ है,जिसके अंदर करीब दर्जनभर से अधिक गाँव बसे हुए है,यही नही विभागीय अधिकारियों की माने तो वर्ष 1993-94 में ग्राम कंडा में विभागीय अमले ने अवैध कटाई के 27 प्रकरण पंजीबद्ध किये थे,और वर्ष 2011 में ग्राम कंडा में ही 15 प्रकरण तैयार कर न्यायलयीन प्रकिया में शामिल किया था,तो वही अब सेमरसोत अभ्यारण्य के वनमण्डलाधिकारी श्री तिवारी अभ्यारण्य क्षेत्र में पेड़ो की अवैध कटाई से इनकार कर रहे है।
बड़ी कार्यवाही की दरकार..
जानकर सूत्र बताते है कि हरियाली पर बट्टा लगाने का काम सरकार की वन अधिकार के तहत पट्टा देने की मुहिम ने ही कर दी है,अभ्यारण्य क्षेत्र के कई गाँव तो ऐसे है जहाँ ग्रामीणों ने भूमि स्वामी बनने के मोह में ही हरे भरे पेड़ काट लिए,और अच्छे खासे घने जंगलों से हरे भरे पेड़ो को काटकर इन जंगलो को मैदान में तब्दील कर कब्जा जमा लिया,ऐसे में इन गाँवो में लकड़ी तस्करों के जमे जमाये जुगाड़ को जड़ से खत्म करने में बड़ी कार्यवाही की दरकार है।