Sunday, September 8, 2024
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चुनाव आते ही मक्खी की तरह भिनभनाते लगते है नेता…

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संपादकीय बरसात आते ही मेढक टरटराने लगते है। गंदगी होते ही मक्खी भिनभिनाने लगती है। फूल खिलते ही भंवरे मंडराने लगते है। रात होते है...