क्या आपने मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्यों में जननी एक्सप्रेस नाम की एक योजना का नाम सुना है.? ये योजना सरकार ने गर्भवती महिलाओं को सही समय पर हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए शुरू की थी। इसमें गर्भवती महिलाओं को एम्बुलेंस की सेवा दी है। अभी इसको शुरू हुए कुछ ही समय हुआ था कि इसकी पोल खुलते दिख गयी। इस योजना में किस कदर से लापरवाही की जा रही है, इसका ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश के छतरपुर में देखने को मिला।
छतरपुर के बड़ामलहरा ब्लॉक के सिमरिया गांव के समरेठा मजरा में रहने वाली संध्या देवी को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. दर्द की वजह से आशा कार्यकर्ता ने उसे हॉस्पिटल जाने की सलाह दी। फिर तुरंत उसने जननी एक्सप्रेस को फ़ोन किया। बार-बार फ़ोन करने के बावजूद भी जननी एक्सप्रेस न ही पहुंची और न ही उसकी तरफ से कोई जवाब आया।
संध्या अपने घर से 6 किलोमीटर दूर स्थित स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए पैदल ही निकल पड़ी. इस स्थिति में संध्या अपने परिजनों के साथ कीचड़ भरे खेत पार कर के सड़क तक पहुंची और टैक्सी स्टैंड पहुंची, पर वहां भी इन्हें कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद आशा कार्यकर्त्ता और उसके पति ने कहीं से एक टैक्सी का इंतज़ाम किया और उसे घुवारा स्वास्थ्य केंद्र ले गए. इतने कष्ट और परेशानी के बावजूद संध्या ने एक बेटे को जन्म दिया।
ये पहला वाकया नहीं है, जब किसी गर्भवती प्रसूता को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले भी ऐसे कई मामले देखे जा चुके हैं, जब दर्द से कराहती किसी प्रसूता को लोग चारपाई पर लिटाकर कर स्वास्थ्य केंद्र ले जाते हैं. हालांकि, अधिकारियों ने मामले को तूल पकड़ते देख कर उस एम्बुलेंस ड्राईवर को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने इस मामले में जांच के आदेश भी दे दिए है।