चूहों से छुटकारा पाने के लिए रेलवे के पास कोई ऐसा बांसुरी वादक तो है नहीं, जैसा हमने कविता ‘द पाइड पाइपर ऑफ हेमलिन’ में पढ़ा था। याद है न वो बांसुरी वादक किस तरह से बांसुरी की धुन पर चूहों को नचाते हुए नदी में छोड़ आता था। इसीलिए रेलवे ने ब्रिटिशकालीन चारबाग रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म्स के सैंकड़ों मोटे-मोटे चूहों से छुटकारा पाने के लिए उन्हें मारने का ‘ठेका’ एक निजी कंपनी को दिया है। सीनियर डिवीज़नल कमर्शियल मैनेजर (उत्तरी रेलवे- लखनऊ)[highlight color=”blue”] ए.के. सिन्हा ने कहा कि ‘रेलवे की संपत्ति, सरकारी फाइलों और यात्रियों के सामान को भारी नुकसान पहुंचा चुके चूहों को मारने के लिए एक निजी कंपनी को 4.76 लाख रुपये का ठेका दिया गया है’. सिन्हा ने पीटीआई को बताया कि यह ठेका एक साल का है और काम इस महीने के अंत में शुरू हो सकता है[/highlight]
चूहे मारने वाली टीम आस-पास के इलाकों, प्लेटफॉर्म्स, इमारतों और शंटिंग यार्ड को कवर करेगी, जिसके लिए हर महीने लगभग 40 हजार रुपये का खर्च आएगा. कंपनी चूहे मारने के लिए खाने लायक चीजें बनाएगी, जिसकी सामग्री विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नियमों के अनुरूप होगी. ऐसा ही एक अभियान साल 2013 में चलाया गया था।
[highlight color=”blue”]अधिकारी ने कहा कि प्लेटफॉर्म्स और इमारतों में चूहों के उत्पात के कारण पिछले साल दुकानदारों को लगभग 10 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था. [/highlight]इन चूहों का वजन आधा किलो तक होता है. आपको बता दें कि इस स्टेशन की नींव 1914 में रखी गई थी और इसकी इमारत 1923 में बनकर तैयार हुई थी. इस स्टेशन को भारत के सबसे खूबसूरत स्टेशनों में से एक माना जाता है. इस शानदार स्टेशन में राजपूत, अवधी और मुगल वास्तुकला का मिश्रण है। लेकिन चूहे इस शानदार इमारत की नींव को खोदकर खराब कर रहे हैं। चारबाग स्टेशन की खासियत यह है कि आकाश से देखने पर इसकी इमारत शतरंज का बोर्ड लगती है। देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक, चारबाग स्टेशन से 85 से ज्यादा यात्री ट्रेनें चलती हैं और 300 से ज़्यादा ट्रेनें यहां से होकर गुज़रती हैं।