बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..हाल ही के दिनों में मनरेगा फर्जीवाड़े से जुड़े 2 मामलों में बड़ी कार्यवाही हुई है..और दोनो ही मामलों में एफआईआर भी दर्ज हुई है..ये दोनों मामले कागजो में बने जलाशय,पुल -पुलिया को लेकर हुई शिकायतों के बाद ही उजागर हुए थे..वही अब चर्चा का विषय यह है..की सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता यूएस राम पर एफआईआर होने के बावजूद इन पंक्तियों के लिखे जाने तक उन्हें निलंबित नही किया गया है..जबकि उन्हें जांच में दोषी पाया गया था..और कार्यपालन अभियंता समेत 5 लोगो पर सिंचाई विभाग के एसडीओ ने ही जांच प्रतिवेदन के आधार पर एफआईआर दर्ज कराया था..इस मामले में दिलचस्प बात तो यह है..की जब एफआईआर दर्ज हो गया तो पुलिस उन्हें किसी भी समय गिरफ्तार कर सकती है..और वे बकायदा अपने पद पर बने हुए है..और अपने कार्यो का सम्पादन कर रहे है..लेकिन पुलिस भी अधिकारी की गिरफ्तारी में रुचि नही ले रही है..
बता दे कि रामानुजगंज जल संसाधन संभाग क्रमांक 4 के अनुविभागीय अधिकारी के आवेदन पर रामानुजगंज थाने में कार्यपालन अभियंता सहित 5 लोगों के विरुद्ध मनरेगा योजना में 45 लाख रुपए फर्जी तरीके से आहरण किये जाने के मामले में सम्भागीय कार्यालय के निर्देश पर रामानुजगंज थाने में अपराध पंजीबद्ध कराया है..
ये है पूरा मामला!..
दरअसल रामानुजगंज जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता यूएस राम सहित चार लोगों के विरुद्ध जांच के बाद सरगुजा कमिश्नर के आदेश पर मामला पंजीबद्ध किया गया है ..जिनके द्वारा वर्ष 2017-18 में मनरेगा के तहत देवीगंज जलाशय, ककनेशा जलाशय के पुलिया निर्माण कार्य का भुगतान बगैर बिल वाउचर के किया गया था..वही इस मामले की जांच में संभागीय लेखापाल के सुमन कार्यपालन अभियंता यूएस राम गोपनीय डिजिटल सिग्नेचर का सार्वजनिक कर संविदा नियुक्ति सुरेंद्र कुमार सिंह को प्रदाय कर शासन की राशि फर्जी रूप से भुगतान करना पाया गया पाया गया था.. जिसके बाद सम्भागीय कार्यालय के आदेश पर धारा 420 एवं 409 अपराध का पंजीबद्ध जल संसाधन संभाग क्रमांक 4 के एसडीओ संजय गायकर के द्वारा रामानुजगंज थाने में कराया गया था..लेकिन इस मामले में अबतक किसी की गिरफ्तारी नही हो पाई है..
कही राजनीतिक सह तो नही?..
बहरहाल महात्मा गांधी रोजगार गारंटी जैसे जुड़े महत्वपूर्ण योजना में गड़बड़ी का मामला सामने आते ही ..मामले की उच्चस्तरीय जांच की गई थी..इसके साथ ही जांच रिपोर्ट आने के बाद सम्बंधित दोषियों के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज कराई गई है..लेकिन यह मामला उच्चस्तरीय जांच कमेटी के साथ -साथ हाईप्रोफाइल हो गया है..और सम्बंधित दोषियों को बचाने सफेदपोश रसूखदारों ने अब मोर्चा खोल दिया है..ऐसे में अब देखने वाली बात यह है..की जिस अधिकारी के विरुद्ध अपराध दर्ज हुआ..और उन्हें वरिष्ठ कार्यालय ने निलंबित भी नही किया ..ऐसे में उनकी गिरफ्तारी करना पुलिस के लिए एक चुनौती ही होगी!..