Success Story : रिक्शा चालक के बेटे ने रचा इतिहास, गरीबी और दुत्कार को मात देकर बने IAS, NCERT से की पढ़ाई, किया पिता का नाम रोशन

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Success Story, IAS Success Story, UPSC Success Story : कहते हैं कि जीवन में कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ किसी भी व्यक्ति की मेहनत और लगन को परखने का सबसे अच्छा तरीका होती हैं। नारस जिले के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले गोविंद जायसवाल की कहानी ऐसी ही एक प्रेरणादायक कथा है, जो साबित करती है कि गरीबी और सामाजिक भेदभाव के बावजूद, कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प से जीवन की ऊँचाइयों को छुआ जा सकता है।

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सातवीं कक्षा में थे तब मां का देहांत

गोविंद का बचपन बेहद कठिन परिस्थितियों में बीता। जब वह सातवीं कक्षा में थे, उनकी मां का देहांत हो गया। इस दुखद घटना ने परिवार की स्थिति को और भी कठिन बना दिया। उनके पिता एक रिक्शा चालक थे और परिवार का पालन-पोषण करना उनके लिए मुश्किल था।

गोविंद को अक्सर मजाक और तिरस्कार का सामना करना पड़ता

इसके बावजूद, गोविंद की पढ़ाई और भविष्य को लेकर आशा नहीं मरी। स्कूल में गोविंद को अक्सर मजाक और तिरस्कार का सामना करना पड़ता था। साथी बच्चे उन्हें ‘रिक्शेवाले का बेटा’ कहकर चिढ़ाते थे, और कभी-कभी उनके दोस्त भी परिवार की गरीबी के चलते उनसे दूर हो जाते थे।

अपमानजनक व्यवहार ने गोविंद को गहरी चोट पहुंचाई

एक घटना ने गोविंद की जिंदगी को नया मोड़ दिया। एक दिन जब वह अपने एक दोस्त के घर खेलने गए, तो उस दोस्त के पिता ने गोविंद से दूर रहने की सलाह दी। इस अपमानजनक व्यवहार ने गोविंद को गहरी चोट पहुंचाई और उनके मन में सामाजिक प्रतिष्ठा की अहमियत को लेकर जागरूकता बढ़ा दी। उन्होंने अपने शिक्षक से पूछा कि वे अपनी सामाजिक स्थिति को कैसे सुधार सकते हैं और समाज में सम्मान कैसे प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षक ने उन्हें दो विकल्प दिए—या तो बड़ा बिजनेसमैन बनो या आईएएस अधिकारी। इस सलाह ने गोविंद के मन में आईएएस बनने की इच्छा को जन्म दिया।

कठिन परिश्रम शुरू

सपनों को साकार करने के लिए गोविंद ने कठिन परिश्रम करना शुरू कर दिया। उनके पिता ने अपने सीमित संसाधनों से भी पीछे हटते हुए बेटे की पढ़ाई के लिए एक छोटा सा टुकड़ा जमीन बेच दिया। इसके बावजूद, आर्थिक कठिनाइयाँ लगातार चुनौती बनी रहीं। उनके पिता ने अपनी बीमारी के बावजूद, जो सेप्टिक संक्रमण के कारण बढ़ रही थी, अपनी मेहनत और बलिदान जारी रखा। उन्होंने रिक्शा चलाकर बेटे की पढ़ाई का खर्च वहन किया और उसे किसी भी समस्या का सामना नहीं करने दिया।

यूपीएससी की परीक्षा में 48वीं रैंक प्राप्त की

गोविंद ने अपने कठिन परिश्रम और लगन से यूपीएससी की परीक्षा में 48वीं रैंक प्राप्त की और 2006 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में सफलता प्राप्त की। उनका यह सफर गरीबी, तिरस्कार और अभाव के खिलाफ संघर्ष की कहानी है। गोविंद का आईएएस बनने का सपना अब सच हो चुका था, और उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि मेहनत और लगन से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

गोविंद की कहानी न केवल उनके परिवार के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि पूरे समाज के लिए भी एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियाँ और सामाजिक भेदभाव केवल अस्थायी बाधाएँ होती हैं, जिन्हें मेहनत, ईमानदारी और दृढ़ संकल्प के साथ पार किया जा सकता है। आज गोविंद जायसवाल की सफलता का सफर एक प्रेरणा का स्त्रोत है, जो हमें सिखाता है कि किसी भी स्थिति में हमें हार मानने के बजाय अपनी मेहनत और संघर्ष पर विश्वास रखना चाहिए।