अंबिकापुर..पिछले 18 सितंबर से आयोजित कला केंद्र मैदान में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में बड़ी संख्या में भक्तगण कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं, मानहेरू परिवार के द्वारा पितृ मोक्षार्थ गया श्राद्धत यह पावन कार्य किया जा रहा हैं। आकर्षक पंडाल के सजावट के बीच विश्व विख्यात कथा वाचक रमेश भाई ओझा के मुखारविंद से रोजाना प्रेम धारा की वर्षा हो रही हैं।उन्होंने भागवत गीता पढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित करते हुए कहा कि, कथा के श्रवण, पठन व चिंतन से हृदय में भगवान की भक्ति प्रकट होती हैं।
उन्होंने कहा कि, भागवत के रहस्य को समझना चाहिए। स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर यह तीन शरीर हम धारण करते हैं, तन स्थूल, मन सूक्ष्म और कारण द्वारिका हैं। स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर के पास अधिक शक्ति होती है, मन अगर कमजोर हैं तो चाहे तन कितना भी मजबूत हो हम भयभीत रहेंगे। इसलिए कभी-कभी तगड़ा आदमी भी डरता हैं और दुबला पतला आदमी भी डरवाता हैं। क्योंकि, उसका मन मजबूत रहता हैं इसलिए हमें प्रभु से मन की मजबूती के लिए नित्य प्रार्थना व आराधना करनी चाहिए खुद को भगवान से जोड़े। उन्होंने कहा कि, जब तक आत्मा रूपी श्री कृष्णा शरीर में बैठे हैं तभी तक देह रूपी द्वारिका सलामत है। उन्होंने कहा कि, विशुद्ध मन ही वासुदेव हैं और देवमयी बुद्धि देवकी हैं मन वासुदेव की तरह विशुद्ध बने इसके लिए पूजा पाठ मंत्रों का जाप करते रहें, बुद्धि देवमयी बने इसके लिए सत्संग करते रहें। उन्होंने बताया कि, श्री कृष्ण इस धरा पर 125 वर्ष तक लीला किए हैं, जिसमें 11 वर्ष वृज लीला 14 वर्ष मथुरा लीला 100 वर्ष द्वारिका लीला शामिल हैं।उन्होंने कहा की गीता के ज्ञान को समझें,भगवत गीता के ज्ञान को जो आत्मसात करता हैं वह मरते नहीं ब्रह्मलीन हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि, भागवत गीता पढ़ने, कथा सुनने व चिंतन करने से भगवान की भक्ति प्रकट होती हैं और मन भगवान में लगा रहता हैं। श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन अनाशक्ति भाव का रहा है श्री कृष्ण ने कहा हैं कि, ऐसे रहो संसार में जैसे जल में कमल का फूल रहता हैं जल में कमल का फूल कभी भिगता नहीं। उन्होंने कहा कि, तुम संसार में रहो तो कोई बात नहीं। लेकिन, संसार तुम्हारे में रहे तो जीवन की नैया डूबनी तय है। उन्होंने कहा कि, दूसरों का हित करने के समान कोई श्रेष्ठ कार्य नहीं होता, किसी का खून पीने से, अच्छा किसी को खून का दान करना हैं और कहा भी जाता हैं कि, रक्तदान जीवनदान हैं।
विश्व विख्यात कथा वाचक रमेश भाई ओझा ने गुरुवार को श्री कृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए कहां कि, भगवान का जन्म संसार के कल्याण के लिए हुआ हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म अवसर पर पूरा पंडाल जय-जयकार से गूंज उठा। श्रद्धालु आनंदित होकर नाचने झूमने लगे।नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की भजन की प्रस्तुति से श्रोता भक्तों को आनंद विभोर कर दिया। इस अवसर पर बाल गोपाल के जन्म की झांकी प्रस्तुत की गई। इसमें बाबा वासुदेव टोकरी में बाल गोपाल को लेकर आए और व्यास पीठ तक लेकर गए यहां कथावाचक रमेश भाई ओझा ने बाल गोपाल को गोद में ले लिया। इस दौरान भक्तों ने भगवान के जन्म को लेकर आनंद के साथ उत्सव मनाया। इससे पूर्व कथावाचक रमेश भाई ओझा ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि, सेवा का आशय धर्मांतरण का हो तो यह ठीक नहीं, यह सबसे बड़ा अधर्मिक प्रवृत्ति हैं। धर्म अमृत के समान हैं, संपूर्ण प्रजा को धारण करने वाला धर्म हैं धर्म की परिभाषा संकीर्ण नहीं हैं, धर्म का आशय जोड़ना हैं तोड़ना नहीं, धर्म के माध्यम से रूपांतरण करो एक अच्छे इंसान के रूप में रूपांतरण कर सकते हो तो ठीक हैं, जिससे परलोक सुधरे वह धर्म है। हम लोग धर्म को उपासना पद्धति से जोड़ लिये हैं धर्म का रहस्य गुफा में हैं धर्म सब नहीं समझते विशाल बुद्धि वाले व्यास समझते हैं, और समझाते हैं। हमारे आदिवासी भोले-भाले लोग प्रकृति की गोद में प्रकृति की पूजा करते हैं। उनको अपने धर्म का पालन करने देना चाहिए। उनका धर्मांतरण नहीं रूपांतरण होना चाहिए। जिससे उनके बच्चे शिक्षित बने और उनका जीवन स्तर सुधर सके, धर्म शब्द बड़ा अद्भुत व विस्तृत हैं। धर्म नहीं जीवन में तो वह भोगवादी जीवन कहलाता हैं। इस मौके पर विश्व विख्यात कथावाचक रमेश ओझा का वनवासी समाज ने पंडाल में परंपरागत ढंग से स्वागत किया। गणेश राम भगत के नेतृत्व में बड़ी संख्या में वनवासी भाई मांदर की थाप पर नाचते हुए पंडाल में उनका स्वागत अभिनंदन किया। इस मौके पर श्री भगत ने कहा कि, महाराज के श्री चरण इस सरगुजा की धरा पर पड़ा हैं, इससे बनवासी समाज गौरवान्वित हैं। उन्होंने कहा कि, वनवासियों के हृदय में राम भगवान को जगाने वाले महाराजा रमेश भाई ओझा जी के दर्शन पाकर हम अत्यंत भाव विभोर हैं।
इधर, कथा का प्रतिदिन वाचन दोपहर 3 से सायं 7:30 बजे तक किया जा रहा हैं। रुकमणी विवाह के वर्णन के साथ रविवार को सुदामा चरित्र की रसधारा होगी। इसके पश्चात हवन व विशाल भंडारे के साथ भागवत कथा का समापन होगा। कला केंद्र मैदान में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का श्रवण करने रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आकर्षक पंडाल की सजावट के साथ श्रद्धालुओं की बैठने की व्यापक व्यवस्था की गई है। व्यवस्था बनाने में मानहेरू परिवार के विजय कुमार अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, प्रयागराज अग्रवाल, माखन अग्रवाल, रामलाल अग्रवाल, शंकर अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल, कौशल अग्रवाल, फकीर चंद्र अग्रवाल, निर्मल कुमार अग्रवाल, अजय अग्रवाल, राजू अग्रवाल, शिवलाल अग्रवाल, संजय अग्रवाल, संदीप अग्रवाल, रिंकू अग्रवाल, गुल्लू, प्रिंस, निर्मल, हेमंत, अंबिकेश, विकास अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल सहित परिवारजन सक्रिय हैं।