उप निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए पूर्व पुलिस कर्मचारी को अपना शिकार बनाया
पहले भी विभिन्न क्षेत्र के रिटायर्ड शासकीय कर्मचारियों को अपना शिकार बनाया
बिलासपुर। पुलिस विभाग में उप निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए पूर्व पुलिस कर्मचारी को ऑनलाइन ठगी करने वालों ने अपना शिकार बनाया था, जिसमे पूर्व पुलिस अधिकारी को पेंशन शाखा के मुख्यालय से बात करने का झांसा देते हुए 9 लाख 2 हजार 995 रूपए की ठगी को अंजाम दिया गया था। मामले में बिलासपुर पुलिस ने 3 आरोपियों को झारखंड से गिरफ्तार कर 7 लाख50 हजार रुपए को रिकवर किया है।
पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि पकड़े गए आरोपियों के संबंध में थाना सिटी कोतवाली में शिकायत दर्ज हुई थी, जिसके बाद से ही साइबर सेल विवेचना में जुट गई थी, जिससे पता चला कि जिस फ़ोन नंबर से कॉल किया गया था, वह झारखंड के दुमका जिले के सरैहा हाट थाना क्षेत्र में आता है, जिसे पुलिस बिहार और झारखंड पहुँची और उनके अलग-अलग ठिकानों पर दबिश देती रही,जिससे उन्हें झारखंड के 3 आरोपी हाथ लगे, जिनमें संजय कुमार मंडल निवासी दुमका, अमोद मंडल निवासी पोइर हाट, अरुण मंडल निवासी मोतिया ये सभी झारखंड के रहने वाले है, परन्तु इस गिरोह के 2 सदस्य मुकेश मंडल और सुमन मंडल झारखंड फरार है, जिन्हें भी जल्द पकड़ लिया जाएगा।
मामले में बताया गया है कि आरोपियों द्वारा विभिन्न क्षेत्र के शासकीय कर्मचारियों को रिटायर्ड होने के बाद ये शिकार बनाते जाता है और फर्जी यूजर आईडी, पासवर्ड के माध्यम ऑनलाइन ठगी को अंजाम देते थे। लेकिन इस बार बिलासपुर पुलिस के हत्थे चढ़ गए। दरअसल वर्ष 2019 में रायगढ़ से सेवानिवृत्त होने के बाद बिलासपुर के गंगानगर फेस 2 मंगला मे निवास करने वाले पुलिस विभाग के उप निरीक्षक पदुमलाल गुप्ता ने जूना बिलासपुर स्थित स्टेट बैंक के खाते में और एफडी में 9लाख2 हजार 995 रूपय जमा कराए थे। जिसे 15 जुलाई को किसी अज्ञात व्यक्ति ने फोन नंबर 8583 6832 422 और 8388 974566 से कॉल कर रिटायर्ड पुलिस उप निरीक्षक को पेंशन मुख्यालय से बोल रहा हूं करकर अकाउंट नंबर एटीएम नंबर और पासवर्ड की जानकारी लेनी है। इसके बाद 18 जुलाई को कुल 9 लाख 2 हजार 995 रूपय नेट बैंकिंग के जरिए पार कर दिए। जैसे ही इसकी भनक लगी उसने बैंक से डिटेल निकालकर थाना सिटी कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसकी शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 420 का अपराध दर्ज कर अपनी जांच शुरू की और आखिरकार इसे सुलझा ही लिया।