OPS 2024, Employees OPS 2024, Old Pension Scheme : राज्य में नियमित होने वाले कच्चे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है।हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए सिंगल बेंच के आदेश को मान्यता दे दी है।
सिंगल बेंच ने इस मामले में कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाते हुए उन्हें पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन के लिए पात्र ठहराया था। इस निर्णय से राज्य के 5,000 से अधिक रिटायर कर्मियों को लाभ होगा।
यह मामला तब उठ खड़ा हुआ जब सरकार ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी। सरकार ने दलील दी कि स्कूलों में कुछ घंटों के लिए एडहॉक आधार पर काम करने वाले लोगों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वे पूरी तरह से दिनभर के काम में नहीं लगे थे। सरकार का तर्क था कि नियमित होने से पहले की सेवा को पेंशन के लिए गणना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए और उन्हें केवल नई पेंशन स्कीम का लाभ देना चाहिए।
नियमित होने वाले कच्चे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ
हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी दो दशकों तक सेवा करता है और बाद में नियमित होता है, तो उसकी नियमितीकरण से पूर्व की सेवा को भी पेंशन के लिए शामिल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इसे न्याय का उल्लंघन माना और कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह न्याय का उल्लंघन जैसा होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कर्मचारियों को सेवा में लेने की तिथि पर लागू पेंशन स्कीम का लाभ मिलना चाहिए, न कि नियमित होने की तिथि पर। ऐसे में 2006 के बाद नियमित होने वाले कच्चे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिलेगा।
कच्चे कर्मचारियों को रखने की नीति में संशोधन पर विचार
इसके अलावा, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि वह कच्चे कर्मचारियों को रखने की नीति में संशोधन पर विचार करे। कोर्ट ने कहा कि डेली वेज और एडहॉक नियुक्तियों के माध्यम से राज्य अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहा है, जो सामाजिक और आर्थिक न्याय के अधिकार का उल्लंघन है। यह निर्देश राज्य सरकार को चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है कि वह कर्मचारियों की स्थिति और उनके अधिकारों पर ध्यान दे और पेंशन संबंधी नीतियों में सुधार करे।
इससे पहले 2019 में भी एक महत्वपूर्ण मामला सामने आया था। रोहतक के जय भगवान को 6 अगस्त 1992 को एडहॉक आधार पर शिक्षा विभाग में चपरासी के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने फरवरी 2012 तक सेवा की और उसके बाद उन्हें नियमित किया गया। वे 2015 में रिटायर हो गए।
हालांकि जब उनकी पेंशन की गणना की गई तो उनकी पुरानी पेंशन और कच्ची सेवा को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने इस मामले को कोर्ट में चुनौती दी और 2019 में सिंगल बेंच ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था। हरियाणा के कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट का यह फैसला एक बड़ी राहत लेकर आया है और यह सुनिश्चित करता है कि वे अपनी लंबी सेवाओं के बाद भी उचित पेंशन लाभ प्राप्त कर सकें।