नई दिल्ली
15 नवंबर :भाषा: सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर ने आज उच्चतम न्यायालय में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया है कि शीर्ष अदालत का कोई पूर्व न्यायाधीश वामपंंथी चरमपंथियों और सरकार के बीच शांति वार्ता शुरू करने के लिये मध्यस्थता करे।
प्रस्ताव में कहा गया है कि पहले की सभी बातचीत में, तीसरे पक्ष की मौजूदगी ने अहम भूमिका निभाई है, चाहें वह एफएआसी-कोलंबियन सरकार की वार्ता हो या फिर मिजोरम समझौते में चर्च रहा हो। तीसरे पक्ष के मध्यस्थों में प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और न्यायिक कानूनी अनुभव रखने वाले होने चाहिए।
प्रस्ताव में शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोपाल गौडा, न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त प्रभा श्रीदेवन, वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू, खाद्य सुरक्षा पैनल के सदस्य रह चुके हर्ष मंडेर , प्रधानमंत्री के पूर्व सचिव के आर वेणुगोपाल, प्रो हरगोपाल, प्रो वर्जीनियस एक्साएक्सा, बुद्धिजीवी कल्पना कन्नाबिरन और मीनाक्षी गोपीनाथ के नामों का तीसरे पक्ष के मध्यस्थों के रूप में सुझाव दिया गया है।
अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इसका पुरजोर विरोध किया और कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं से मिले किसी भी प्रस्ताव पर विचार किया गया तो पीठ को सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी सामग्री पर भी गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की सामग्री सीलबंद लिफाफे हैं जो समकालीन रिकार्ड है जिस पर पीठ को विचार करना चाहिए।