@संजय यादव
जांजगीर चाम्पा। जांजगीर चाम्पा विधानसभा में कांग्रेस पार्टी को अपनी वापसी के लिए प्रत्याशी का नाम तय करने के लिए सौ बार सोंचना होगा। क्योकि इस विधानसभा के मतदाताओं के मत के विरुद्ध अगर प्रत्याशी तय होते है तो निश्चित परिणाम भी उल्टा आएगा। विधानसभा में किसी एक प्रत्याशी के नाम फ़ाइनल होने से पहले स्थानीय व बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा जोरदार छाया हुआ है। आम जनता का भी मत है कि स्थानीय को ही पार्टी टिकट दे, ज़बरदस्ती बाहरी प्रत्याशी का नाम इस विधानसभा में लेकर कांग्रेस के पक्ष में बने महौल को खराब न करे। इन दिनों कांग्रेस पार्टी में स्थानीय बनाम बाहरी के बीच जंग जारी है। वही जनता की भी यही राय है कि कोई भी नाम हो स्थानीय हो. अब आगे पार्टी किस नाम पर अपना मुहर लगाती है यह देखना होगा.
जांजगीर चाम्पा विधानसभा में 40 से ज्यादा नेताओ ने अपनी दावेदारी पेश की है। जिसमे तीन नामो पर सबसे ज्यादा चर्चा हों रही है.बाकी नाम चुनाव के मापदंड में फिट नही बैठ रहे है. 2018 में कांग्रेस लहर के बाउजूद मोती लाल देवांगन का हारना बड़ा शर्म की बात थी, इसका मतलब क्षेत्र में उनकी पकड़ कमजोर थी, इस लिहाज से मोती को दुबारा टिकट देना बड़ा रिस्क होगा , वही क्षेत्र की जनता अब नया चेहरा मांग रही है.दूसरी और महंत राम सुंदर दास का पुरजोर विरोध देखने को मिल रहा है. जनता उनको बाहरी प्रत्याशी के नाम पर नकार रही है. अब तीन प्रमुख चेहरे ही है जिनका नाम पर मुहर लगना बाकी हैं.
दूसरी ओर बीजेपी से मौजूदा विधायक एवं नेताप्रतिपक्ष नारायण चन्देल को कमजोर नही आंकना चाहिए.बीजेपी विधायक के पक्ष में शहर के वोटर है तो वही ग्रामीण वोटर में भी उनकी अच्छी पकड़ है.लेकिन पार्टी के सर्वे में बीजेपी विधायक की स्थिति अच्छी नही है.अगर बीजेपी अपना प्रत्याशी बदलती है तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा. हालांकि कांग्रेस की लहर में बीजेपी को अपनी सीट बचाने में कठिन परिश्रम करना पड़ेगा.