संजय यादव
जांजगीर-चाम्पा...जांजगीर चांपा विधानसभा के वोटर दो भागों में बंटे हुए हैं। हसदेव नदी के उस पर चाम्पा जो कि कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा हैं। वही नदी के इस पर जांजगीर जो जिला मुख्यालय हैं। वहां हमेशा बीजेपी का दबदबा रहा हैं। इसलिए चांपा क्षेत्र के लोग चाहते हैं। उनके क्षेत्र के लोगो को टिकट मिले। तो वही जांजगीर मुख्यालय के लोग चाहते हैं कि, इस क्षेत्र के व्यक्ति को टिकट मिले। इसलिए भाजपा एवं कांग्रेस दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओ के बीच हमेशा खींचतान बना रहता है। जांजगीर के वोटर हमेशा बीजेपी के पक्ष में वोट करते हैं। तो चाम्पा के वोटर हमेशा कांग्रेस का साथ देते आ रहे है। इसलिए चाम्पा के वोटर से ही जांजगीर चांपा विधानसभा का प्रत्याशी का जीत-हार तय होता है।
आपको बता दे कि, जांजगीर चांपा विधानसभा परंपरागत कांग्रेसियों का गढ़ रहा है। लेकिन कुछ फूल छाप कांग्रेसियों के कारण यहां कांग्रेस हमेशा कमजोर होते रही है। कांग्रेसियों को बीजेपी से खतरा नहीं हैं। बल्कि, इन फुलछाप कांग्रेसियों के कारण खतरा हैं। जांजगीर चांपा विधानसभा में बड़े कांग्रेसी नेता के हस्तक्षेप के कारण यहां पार्टी में भारी गुटबाजी हैं।जांजगीर चाम्पा की राजनीति की बात करें तो भाजपा एवं कांग्रेस पार्टी में किसी एक ही नेता के इर्द गिर्द यहां की राजनीति घूमते रहती है। अभी तक जांजगीर चांपा विधानसभा में कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों पार्टी में किसी एक नेता के अलावा बड़े चर्चित चेहरे सामने नहीं आ पाये है। जो जांजगीर-चांपा विधानसभा के राजनीतिक कुरीतियों को बदल सके. इसके दुष्परिणाम भी चुनाव के समय सामने आते हैं। जिसका खामियाजा दोनों पार्टी को चुनाव में भुगतने पड़ते हैं। पार्टी को एन वक्त पर नए चेहरे ढूंढने में काफी मशक्कत करना पड़ता है। नये दमदार चेहरा नहीं मिलने पर चुनाव के नजदीक आते ही फिर से वही पुराना चेहरा को मौका दिया जाता है। कांग्रेस पार्टी में सबसे बड़ा चेहरा इस क्षेत्र में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत है। जिसका राजनीति दबदबा क्षेत्र में देखने को मिलता है। तो वहीं भाजपा में सबसे बड़े चेहरे के रूप में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल है। जिनके इशारे पर इस विधानसभा की दशा व दिशा तय होती है। कांग्रेस पार्टी की बात करें तो डॉक्टर चरण दास महंत अविभाजित जांजगीर चांपा जिले में प्रत्याशियों के चयन में बड़ी भूमिका निभाते हैं। तो वहीं भाजपा में नेता प्रतिपक्ष की भी निर्णय सर्वमान्य होती है। हालांकि जांजगीर चांपा विधानसभा में मोतीलाल देवांगन को कई बार चुनाव लड़ने का मौका मिल चुका है। बावजूद अभी तक जन प्रिय नेता के रूप में उभर नहीं पाए, उसके बाद भी टिकट के लिए लाइन में खड़े है। अब 2023 विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टी में देखना होगा कि वही पुराने चेहरे सामने आते हैं या पार्टी नए चेहरे को भी मौका देगी।