@संजय यादव
जांजगीर चांपा। चुनाव में किसी की हार एवं जीत सुनिश्चित होती है, कोई नेता अपने व्यवहार एवं अपने काम के बदौलत जनता के दिल में जगह बना लेता हैं, तो कोई वर्षो राजनीति करते-करते अंत में हार जाता हैं..राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण होता है धैर्य, अगर कोई नेता के पास धैर्य है तो आने वाले समय में जरूर उसका प्रतिफल उस नेता को मिलता है. और इसी का उदाहरण है जांजगीर चांपा विधानसभा भाजपा प्रत्याशी एवं नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल…, जिन्होंने अपनी राजनीति कैरियर की शुरुआत छात्र नेता से की थी और आज नेता प्रतिपक्ष और आने वाले समय में मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में देखे जा रहे हैं. पहली बार 1998 में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे थे और यही से उनकी राजनीति ग्राफ बढ़ते गया और आज नेता प्रतिपक्ष के पद पर हैं. यह उसी का परिणाम है कि व्यक्ति को राजनीति में धैर्य नहीं खोना चाहिए. सिर्फ अपने मेहनत और सेवा से जनता के विश्वास में खरा उतरना चाहिए. नारायण चंदेल ने भी अपने वर्षों की राजनीति में यही काम किया है वह अपने छात्र जीवन के राजनीति की शुरुआत करते-करते आज नेता प्रतिपक्ष तक पहुंचने के पीछे उनकी मेहनत, जनता की सेवा,एवं धैर्य ही है,जिसके प्रतिफल आज उन्हें नेताप्रतिपक्ष का पद मिला है.
दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी व्यास कश्यप की बात करें तो लगभग दोनों की राजनीति करियर की शुरुआत एक साथ एक ही पार्टी से हुई थी. वही शुरुआती दौर में व्यास कश्यप भी आरएसएस से अपनी राजनीति की शुरुआत करते-करते छात्र नेता की राजनीति तक पहुंचे थे.. बाद में युवा मोर्चा एवं भाजपा जिला उपाध्यक्ष के पद पर भी रहे. भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर उन्होंने 2018 में बीएसपी से चुनाव लडे ,लेकिन चुनाव हार गए वे तीसरे नंबर पर रहे. लेकिन अपना राजनीतिक वजूद दिखाने में कामयाब रहे..बाद में उन्होंने 2019 में बीएसपी से इस्तीफा देखकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली और किस्मत से उन्हें मंडी अध्यक्ष का पद प्राप्त हुआ और आज 2023 में उन्हें कांग्रेस पार्टी से टिकट देकर जांजगीर चांपा विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है।
आज हम बात करने जा रहे हैं विधानसभा चुनाव के जीत और हार के बाद राजनीति करियर का… 2023 के विधानसभा चुनाव में दोनो नेता जांजगीर चांपा विधानसभा सीट से आमने-सामने हैं बीजेपी से नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल और कांग्रेस पार्टी से व्यास कश्यप है जो कभी एक दूसरे के साथ हमेशा उठना बैठना करते थे.. अपना राजनीति की शुरुआत भी एक ही पार्टी से एक साथ किए थे जो कभी अभिन्न मित्र हुआ करते थे..दोनों की राजनीति करियर की शुरुआत बीजेपी से ही हुई थी बाद में व्यास कश्यप बीजेपी से नाता तोड़ के बीएसपी से चुनाव लडे और अच्छे वोट बटोर कर उन्होंने हार का सामना किया.. वहीं दूसरी ओर नारायण चंदेल लगातार 5 बार अपने निर्वाचन क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते आ रहे है..पार्टी ने उन्हें 1998 से लेकर आज तक मौका देते आ रहा है..जिसमें उन्होंने तीन बार सफलता हासिल की तो दोबारा हार का सामना करना पड़ा है. लेकिन जिस मेहनत के साथ नारायण चंदेल आगे बढ़ रहे हैं उस हिसाब से उन्हें सफलता भी हाथ लग रहा है आज वे प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष के पद पर आसीन है और आगे भी उनके भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है. लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद.
जांजगीर चांपा विधानसभा से कांग्रेस से व्यास कश्यप और बीजेपी से नारायण चंदेल का जोरदार फाइट होते दिख रहा है. दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है. राजनीति पंडित दोनो के बीच जीत और हार का फैसला कर पाने में असफल साबित हो रहे है. अगर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घोषणा का जादू एवं विधानसभा में बदलाव की बात चली होगी तो बीजेपी की हार निश्चित है, लेकिन अगर सरकार के प्रति जनता का गुस्सा होगा तो कांग्रेस की हार हो सकती है. वहीं अब परिणाम के लिए 3 दिसंबर का इंतजार करना होगा।
इसी बीच दोनों की राजनीति करियर के बारे में हम बात करते हैं अगर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी व्यास कश्यप चुनाव हार जाते हैं तो उनके पास खोने के लिए क्या बचेगा. देखा जाए तो व्यास कश्यप के पास राजनीति करियर में खोने को कुछ नही है इसे उनकी राजनीति शुरुवात ही कह सकते है. कांग्रेस पार्टी में रहते उन्हें जांजगीर कृषि मंडी के अध्यक्ष का पद मिला और अब विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पार्टी उन्हें विधायक का टिकट दिया है. लेकिन दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी छात्र नेता से लेकर नेता प्रतिपक्ष के पद तक पहुंचे हैं नारायण चंदेल ,और अब वे मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में भी देखे जा रहे हैं. अगर नारायण चंदेल चुनाव हार जाते हैं तो उनके पास खोने के लिए वर्षों की राजनीति करियर है जो उन्होंने मेहनत से बनाई है.अब नारायण चंदेल की राजनीति करियर दांव में लगते दिखाई दे रहा है.
अगर नारायण चंदेल चुनाव जीत जाते हैं तो उनकी राजनीति सफर का बेरियर कोई तोड़ नहीं सकता. लेकिन चुनाव हार जाते है तो उनकी राजनीति करियर का क्या होगा.. बड़ा सवाल है..? हार के बाद व्यास कश्यप के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है.. लेकिन नारायण चंदेल के पास खोने के लिए वर्षों की राजनीति करियर है. जिसे उन्होंने बड़ी मेहनत से बनाई है. लेकिन व्यास कश्यप को कांग्रेस पार्टी में रहकर राजनीति करियर बनाने में ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ा है कांग्रेस ज्वाइन करते हैं उन्हें मंडी अध्यक्ष का पद मिल गया और अब कुछ महीनो के बाद उन्हें विधानसभा का टिकट भी मिल गया जिसे पाने के लिए कई नेता एड़ी चोटी एक कर देते है.
अब दोनों नेताओं का राजनीति किस्मत का फैसले के लिए 3 दिसंबर तक इंतजार करना होगा. अभी दोनों प्रत्याशियों का राजनीतिक किस्मत का फैसला स्ट्रांग रूम में कैद हो गया है. 3 दिसंबर को दोनों का राजनीतिक कैरियर का फैसला होना बाकी है.अगर व्यास कश्यप की जीत होती है तो यही से उनकी राजनीति का ग्राफ उपर उठना शुरू हो जाएगा और जांजगीर चांपा के विधायक बन जाएंगे.लेकिन अगर नारायण चंदेल हार जाते हैं तो उनका राजनीति करियर का क्या होगा यह सबसे बड़ा सवाल है..? लेकिन अब इसके लिए 3 दिसंबर तक इंतजार करने की जरूरत है.