Loksabha Speaker : राजनीतिक उठापटक शुरू, विपक्ष की बड़ी मांग, नहीं मानने पर स्पीकर पद के लिए उतारेगी उम्मीदवार

Loksabha First session, LokSabha Speaker, NDA, I.N.D.I.A : इस बार, विपक्ष को लोकसभा के निचले सदन में अपना नेता चुनने का मौका मिलेगा, जो कि लंबे समय बाद इस सदन में विपक्षी नेता का दर्जा प्राप्त करेगा।

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Loksabha First session, LokSabha Speaker, NDA, I.N.D.I.A : लोकसभा का पहला सत्र शुरू होने जा रहा है, जो 24 जून से 18वीं लोकसभा के ताज़ा मुद्दों और राजनीतिक उठापटक में शामिल होगा।

इस सत्र के दौरान, 26 जून को लोकसभा में नए अध्यक्ष का चुनाव होगा, जिसमें विपक्ष भी अपना उम्मीदवार उतार सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं मिला तो उन्हें स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार चुनने का अधिकार हो सकता है।

LokSabha Speaker : एनडीए ने 293 सीटों पर जीत हासिल की

इस लोकसभा चुनाव 2024 में, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 293 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक को 234 सीटें मिलीं। इस विजय के बाद, विपक्षी दलों ने स्पीकर के चयन में भाग लेने की उम्मीद जताई है।

LokSabha Speaker : विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक को 234 सीटें

इस बार, विपक्ष को लोकसभा के निचले सदन में अपना नेता चुनने का मौका मिलेगा, जो कि लंबे समय बाद इस सदन में विपक्षी नेता का दर्जा प्राप्त करेगा। विपक्ष ने उपाध्यक्ष के पद के चयन की भी मांग की है, जिस पद पर पिछले पांच साल से रिक्ति बनी हुई है।

LokSabha Speaker : विपक्ष को लोकसभा के निचले सदन में नेता चुनने का मौका

विपक्षी दलों के नेताओं के अनुसार, उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को समर्थन देना चाहिए। जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केसी त्यागी ने बताया कि उनकी पार्टी और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) एनडीए से जुड़े हुए हैं और वे बीजेपी द्वारा नामित उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। इस पर विपक्षी दलों ने इस बात का संकेत दिया है कि उन्हें उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा द्वारा उम्मीदवार उतारने का मुद्दा जारी रहेगा।

यह सभी घटनाएँ इस बात का संकेत देती हैं कि आने वाले सत्र में लोकसभा में राजनीतिक गहराईयों में तेज़ी आ सकती है। विपक्षी दलों ने अपनी शक्ति और प्रभाव को बढ़ाने के लिए उपाध्यक्ष के पद का मुद्दा उठाया है, जिससे वे अपने स्टैंडिंग को संविदानी रूप से मजबूत कर सकें।

इस समय, भारतीय राजनीति में गहरी गर्माहट और राजनीतिक संघर्ष की भावना स्वाधीनता और समर्थन दोनों हैं। अगले सत्र के माध्यम से, नए नेतृत्व के साथ लोकसभा का माहौल भी बदल सकता है, जिससे देश की राजनीतिक दीर्घावधि में अनुकूल बदलाव आ सकते हैं।