Kolkata Rape Case : ‘वाम’ और ‘राम’ पर गहराया मुद्दा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आक्रोशित हुए काशी के संत- घटना को धार्मिक रंग देने की कोशिश

Kolkata Rape Case, Mamata Banerjee, Kashi Saint on Mamata Banerjee : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज पर हुए हालिया हमले को बीजेपी और वाम दलों से जोड़ते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। कोलकाता में हाल ही में घटित एक रेप केस पर की गई टिप्पणी ने काशी के संतों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है।

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ममता बनर्जी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए वाम और राम जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है। जिससे धार्मिक और राजनीतिक माहौल में विवाद खड़ा हो गया। इस पर अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और ममता बनर्जी की टिप्पणियों को उनकी नीचता की पराकाष्ठा करार दिया है।

ममता बनर्जी के बयान की आलोचना

कोलकाता में एक रेप केस के संदर्भ में ममता बनर्जी द्वारा दिए गए बयान में उन्होंने वामपंथी और धार्मिक तत्वों के संदर्भ में विवादित टिप्पणी की थी। उनके इस बयान को लेकर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं, और काशी के संत भी इस पर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं।
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने ममता बनर्जी की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कहा कि यह बयान उनकी नीचता की पराकाष्ठा है और सत्ता पर बने रहने का कोई हक नहीं है। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने अपने बयान में कहा, ममता बनर्जी का वाम और राम जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना एक अत्यंत असंवेदनशील और नीचता भरा कदम है।

एक गंभीर घटना पर ऐसी राजनीति करना और धार्मिक मुद्दों को भी इसमें घसीटना पूरी तरह से गलत है। यह सत्ता की लालसा और व्यक्तिगत स्वार्थ की पराकाष्ठा है। ऐसे बयानों से समाज में विभाजन और नफरत फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

धार्मिक रंग देने का प्रयास

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने जानबूझकर इस संवेदनशील मुद्दे को धार्मिक रंग देने का प्रयास किया है। उनके अनुसार, यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब समाज में पहले से ही धार्मिक और सांस्कृतिक तनाव बढ़ रहा है। इस तरह के बयानों से धार्मिक समुदायों के बीच और भी अधिक तनाव उत्पन्न होगा, जो समाज के लिए हानिकारक है।

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी के बयान ने समाज की सुरक्षा और शांति को खतरे में डाल दिया है। उनका यह कदम न केवल राजनीति में नफरत फैलाने वाला है, बल्कि समाज में भी एक अस्थिरता पैदा कर सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे अपने बयानों पर पुनर्विचार करें और ऐसी टिप्पणियां करने से बचें जो समाज में घृणा और विभाजन को बढ़ावा दें।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

ममता बनर्जी के बयान ने समाज के विभिन्न हिस्सों में गहरी चिंता और असंतोष पैदा किया है। राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के विभिन्न वर्गों ने उनकी टिप्पणियों की आलोचना की है और इसे समाज में नफरत फैलाने वाला करार दिया है। कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ममता बनर्जी से इस मुद्दे पर सार्वजनिक माफी की मांग की है और कहा है कि ऐसे बयानों से समाज में संवेदनशील मुद्दों को और अधिक जटिल बनाया जा रहा है।

ममता बनर्जी का पक्ष

राजभवन में एक समारोह में शामिल होने पहुंची ममता बनर्जी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि हमला करने वाले तत्व आरजी कर के छात्र आंदोलन से संबंधित नहीं हैं।

ममता बनर्जी ने कहा बुधवार रात को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जो क्षति हुई है, उसमें शामिल लोग आरजी कर के छात्र आंदोलन से जुड़े नहीं हैं। वीडियो में देखने पर पता चलता है कि कुछ लोगों के हाथ में राष्ट्रीय ध्वज हैं, जो बीजेपी के लोग हो सकते हैं। वहीं कुछ के हाथ में सफेद और लाल झंडे थे। यह वामपंथी दलों का भी काम हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस तांडव की जिम्मेदारी ‘वाम और राम’ ने उठाई है, जो उनकी राय में बीजेपी और लेफ्ट का संकेत हो सकता है।

इस बीच ममता बनर्जी ने यह भी स्पष्ट किया कि अब इस मामले की जांच सीबीआई के हाथ में है। “अब केस हमारे हाथ में नहीं है, सीबीआई के हाथ में है। यदि किसी को कुछ कहना है तो सीबीआई को बोलें। हमें कोई आपत्ति नहीं है।

ममता बनर्जी ने अभी तक इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनके समर्थक और पार्टी के लोग इसे एक राजनीतिक आरोप मानते हैं और उनका कहना है कि विपक्ष उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहा है।