कई आरक्षक इनके रहते कोतवाली नही आना चाहते और किसी वजह से आ भी जाते है तो इनके व्यवहार से जल्दी दूसरे थाना अपना स्थान्तरण करा लेते है। इन दिनों कोतवाली में शाम के समय कई आरक्षक टुन्नी हो कर भी ड्यूटी में आ जाते है। खुद कानून के रखवाले कानून तोड़ते नजर आते है। कोतवाली प्रभारी की दिन दशा इन दिनों ठीक नही चल रहा है। थाना प्रभारी के कारण शहर में अपराधी घटना में बढ़ोतरी होते जा रही है। अवैध शराब, गांजा, जुआ सभी सेटिंग्स में चल रहे है। शहर में अवैध कबाडियों का महीना बंधा है। अवैध काम करने वालो को खुली छूट है। वही जुआ, अवैध शराब, गांजा बिक्री करने वाले बिना नाम छापने के शर्त पर बताते है कि हर महीना हम कोतवाली में चढ़ावा देते है तभी हम धंधा कर सकते है। जिस महीना ऊपर नीचे होता है उस महीने हमारे ऊपर कार्यवाही हो जारी है। वही महीने में एक बार कार्यवाही करने की शर्त पर काम करने दिया जाता है।
Chhattisgarh: पत्रकारों को कोतवाली आने की मनाही, थाना प्रभारी ने कहा नहीं आ सकते मेरे थाने के अंदर
जांजगीर-चाम्पा। जांजगीर कोतवाली के थाना प्रभारी का दिमाक इन दिनों फिर गया है। कब क्या कर बैठते है खुद को नहीं पता, न फरियादियों से बात करने का सलिखा है न ही पत्रकारो से बात करने का तजुर्बा। इसी वजह से जहाँ जाते है विवादो में पड़ जाते है। पत्रकारो को रोजाना रिपोर्टिंग के लिए कोतवाली जाना होता है, लेकिन थाना प्रभारी न तो कोई जानकारी साझा करते, न ही किसी प्रकार की जानकारी देते। यहाँ तक पत्रकारों को थाना अंदर आने से मना करते है। पत्रकारो से क्या छिपाना चाहते है ये वे जाने, पर थाना किसी भी थाना प्रभारी का निजी कार्यालय नही होता, इस बात की जानकारी शायद उन्हें नही है। वे कोतवाली को अपना निजी कार्यालय समझने लगे है। फरियादी जब शिकायत लेकर कोतवाली पहुचते है तो उनकी बात सुनना तो दूर उनसे ऐसा व्यवहार करते है जैसे कि शिकायतकर्ता ही अपराधी हो। आये दिन अपने स्टॉफ से लेकर अपने अफसर से उलझते रहते है। कोतवाली में किसी स्टाफ से सीधे मुह बात नही करते। कई मौकों पर अपने स्टॉफ से विवाद होते देखा गया है।