GST Council Meeting : मिडिल क्लास को बड़ा झटका, डेबिट और क्रेडिट कार्ड से 2000 रुपये तक के भुगतान पर देना होगा 18% जीएसटी

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GST Council Meeting, GST Council, GST Council Tax, Transaction Tax, Middle Class : सोमवार को GST Council की 54वीं बैठक में एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद निर्णय लिया गया, जिससे मिडिल क्लास के लोगों को बड़ा झटका लगा है। इस बैठक में यह फैसला किया गया कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किए गए 2000 रुपये तक के भुगतान पर 18% जीएसटी (Goods and Services Tax) लागू किया जाएगा। यह नया नियम 1 अक्टूबर 2024 से प्रभावी होगा और इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा।

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क्या है नया नियम?

नए नियम के अनुसार, अब डेबिट या क्रेडिट कार्ड से किए गए 2000 रुपये तक के लेन-देन पर 18% जीएसटी वसूला जाएगा। यह शुल्क सीधे भुगतान गेटवे को दिया जाएगा, जो आपकी खरीदारी या लेन-देन की प्रक्रिया का एक हिस्सा होता है। यह कदम डिजिटल लेन-देन के बढ़ते उपयोग को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, ताकि इन लेन-देन पर भी टैक्स का उचित संग्रहण सुनिश्चित किया जा सके।

मिडिल क्लास पर असर

इस निर्णय से मिडिल क्लास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि कार्ड के माध्यम से छोटे-मोटे लेन-देन में भी अब उन्हें अतिरिक्त जीएसटी का भार उठाना पड़ेगा। यह नई व्यवस्था उन लोगों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होगी जो रोजमर्रा की खरीदारी और लेन-देन के लिए कार्ड का उपयोग करते हैं। इस अतिरिक्त टैक्स के कारण उनके मासिक बजट पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं की लागत में वृद्धि हो सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिटमेंट कमेटी ने पेमेंट एग्रीगेटर्स को छोटे ट्रांजेक्शन पर जीएसटी छूट न दिए जाने की सिफारिश की थी। कमेटी का कहना है कि एग्रीगेटर्स की कमाई पर 18% जीएसटी वसूला जाए, जिससे डिजिटल लेन-देन में पारदर्शिता और टैक्स का उचित संग्रहण सुनिश्चित हो सके। हालांकि पेमेंट एग्रीगेटर्स ने सरकार से इस प्रस्ताव को लागू न करने की अपील की थी लेकिन जीएसटी काउंसिल ने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों की राय के आधार पर कोई छूट देने का निर्णय नहीं लिया।

ग्राहकों पर असर की संभावना नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक इस नए जीएसटी नियम का असर सीधे ग्राहकों पर पड़ने की संभावना नहीं है। काउंसिल ने पहले इस प्रस्ताव को अपनी अगली बैठक में रखने का विचार किया था लेकिन अब इस पर तुरंत निर्णय ले लिया गया है। यह कदम 2016 में नोटबंदी के बाद डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए निर्णय के विपरीत है, 2000 रुपये तक के ट्रांजेक्शन पर सर्विस टैक्स नहीं लिया जाता था।

नोटबंदी के बाद टैक्स न लेने का फैसला

नोटबंदी के दौरान रुपये की कमी के कारण डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए 2000 रुपये तक के ट्रांजेक्शन पर टैक्स न लेने का निर्णय लिया गया था। अब, जीएसटी काउंसिल ने इस पुरानी नीति में बदलाव करते हुए छोटे ट्रांजेक्शन पर भी टैक्स लगाने का निर्णय लिया है। जिससे डिजिटल लेन-देन में पारदर्शिता और टैक्स का सही संग्रहण सुनिश्चित होगा।

यह नया निर्णय उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे डिजिटल लेन-देन की लागत में वृद्धि हो सकती है। हालांकि इसका असर ग्राहक पर प्रत्यक्ष रूप से नहीं पड़ेगा लेकिन व्यापारिक संगठनों और पेमेंट गेटवे कंपनियों को इससे प्रभावित होना तय है।

सरकारी तर्क और प्रतिक्रिया

GST Council ने इस निर्णय को लेकर बताया है कि यह कदम वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में जीएसटी संग्रहण को सुधारने के लिए उठाया गया है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इससे न केवल टैक्स के संग्रहण में सुधार होगा, बल्कि डिजिटल लेन-देन को भी और अधिक पारदर्शी और नियमित बनाया जा सकेगा। इसके अलावा, यह कदम टैक्स की चोरी को भी कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

आगे की योजना और अपेक्षाएँ

GST Council ने संकेत दिया है कि इस नई व्यवस्था की समीक्षा की जाएगी और यदि आवश्यक हुआ तो इसमें बदलाव किया जा सकता है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं और व्यापारियों को इस नए नियम के तहत अपने लेन-देन की योजना बनानी होगी और आने वाले समय में इसके प्रभाव को समझना होगा।