जशपुरनगर (तरुण प्रकाश) शहर के कोर्ट कालोनी में निर्मित सार्इं मंदिर में गुरू सार्इं की मूर्ति स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन धूमधाम से किया गया। इस मौके पर नगर में सार्इं की भव्य पालकी यात्रा निकाली गई। गाजे-बाजे के साथ निकली पालकी यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।
संसार को सबका मालिक एक का संदेश देने वाले साईं के प्रति शहरवासियों में आस्था की कोई कमी नहीं है। सार्इं के प्रति आस्था रखने वाले लोगों ने मिलकर जनसहयोग से कोर्ट कॉलोनी में मंदिर का निर्माण किया है। अबतक यहां के मंदिर में सार्इं बाबा के तैल्य चित्र को रखकर पूजा-पाठ किया जा रहा था। पर अब यहां सार्इं की भव्य संगमरमर की प्रतिमा लोगों को देखने को मिलेगी। मंदिर में सार्इं की मूर्ति स्थापना व उसकी प्राणप्रतिष्ठा कर दी गई है। सार्इं की मूर्ति शिरडी से लाई गई है। शिरडी सार्इं मंदिर के पूजारी पंडित अमित देशमुख ने जशपुर पहुंचकर सार्इं की प्राणप्रतिष्ठा यहां कराई। सुबह से ही विभिन्न आयोजन मंदिर परिसर में किए गए। सुबह 5 से 8 बजे के बीच मंडल पूजन, सभी देवी देवताओं का आह्Þवान, पूजन हवन, जलाधीवास, धान्यदीवास, समण आदि का कार्यक्रम चला।
पालकी में सवार सार्इं ने किया नगर भ्रमण
मंदिर में स्थापित होने के पूर्व साईं बाबा ने जशपुर नगर का भ्रमण किया। सुबह करीब 9 बजे कोर्ट कालोनी स्थित साईं दरबार से सार्इं की पालकी यात्रा के साथ कलश यात्रा निकाली गई। शहर की महिला श्रद्धालुओं ने केसरिया रंग के परिधान में कलश के पात्र को सिर में धारण किया। वहीं पुरूष श्रद्धालु सार्इं की पालकी के कंहार बने। ढ़ोल व नगाड़ों की थाप पर बजनिया कलश व सार्इं की पालकी यात्रा की अगुवाई कर रहे थे। सार्इं की पालकी यात्रा सह कलश यात्रा कोर्ट कालोनी से निकलकर जेल रोड, जिला अस्पताल, महाराजा चौक, मेन रोड, बस स्टैण्ड चौक, पुरानीटोली रोड होते हुए वापस सार्इं दरबार पहुंची। इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल थे। डीजे पर चल रहे सार्इं के भजनों ने पूरे शहर का वातावरण भक्तिमय कर दिया था।
पंचामृतस्नान, महाआरती व भंडारा
कलश यात्रा के बाद मूर्ति को पवित्र करने के लिए गंगाजल, शुद्धजल, पंचामृत, दूध, दही, मधु, गुड़ आदि से स्नान कराया गया। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन के मुख्य अनुष्ठान में बैठे जोड़ों ने हवन में भाग लिया। शिरडी से पहुंचे पंडित अमित देशमुख के सहयोगियों ने वैदिक मंत्रों से हवन व पूजन कराया। सार्इंं की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करने के बाद महाआरती हुई। इस मौके पर भंडारे का भी आयोजन किया गया था, जिसमें हजारों लोगों ने पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया। देर रात तक भंडारे में प्रसाद वितरण का दौर चलता रहा।