– जिओ टैगिंग में पुराने फोटो को अपलोड कर नया दिखाया गया
जांजगीर चांपा । (संजय यादव ) जिला मुख्यालय के विभिन्न ब्लाको में शौचालय निर्माण में रोज कई प्रकार की शिकायत सामने आते रहती है पर इस बार जिले के विभिन्न ब्लाको मेंं भी एक बड़े तौर पर शौचालय निर्माण मे घोटाला सामने आया है। इन ब्लाके के अफसरो व जनप्रतिनिधि गांव को ओडीएफ कागजो मे घोषित कर वाह वाई लुट रहे है। वही शौचालय निर्माण मे बड़े घोटाले को अजांम दिये हैं फटाफट की टीम ने इन ब्लाकों मे जा कर जब पड़ताल की तो बडे़ घोटाले सामने आये । यहां ऑन लाइन मॉनिटरिंग व्यवस्था पर लगे अफसरों ने लाखों रूपये की निर्माण मे हेरा फेरी की है। एक हजार से ज्यादा शोचालयों के पूरा बताने के लिए अपसरों ने जिओ टैगिंग में पुराने फोटो को अपलोड कर नया दिखाया गया है। ऑन लाइन मॉनिटरिंग व्यवस्था पर अफसरो ने सेंध लगाते हुए इस कारनामे को अंजाम दिया हैं बैगर शैाचालय निर्माण के हजारों शौचालयों को पूरा दिखाकर दर्जनों अधिकारी,कर्मचारी व जनप्रतिनिधियां ने मिलीभगत कर राशि की बंदरबांट कर ली है। जहां इन्होने निर्माण कार्य दिखाया है वहा निर्माण हुआ ही नही है। जिले के नवागढ़, अकलतरा, पामगढ, डभरा, जैजैपुर, सक्ती, बलौदा, ब्लाको मे शौचालय निर्माण होना था , लेकिन कुछ जगहो पर बस निर्माण कर एक से अधिक निर्माण का होना बताया गया। उसके हितग्राही की सूची जनपद पंचायत द्वारा पहले से ही तैयार कर ली गई थी। यहां शौचालय निर्माण में भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया गया।
ऐसे हुआ है घोटाला ….
तीन स्तर मे निर्माण की फोटो व राशि आहरित होती है। जिसमें निर्माण होने से ठीक पहले उस जगह फोटो अपलोड करनी होती है। उसके बाद काम शुरू होने के बाद और फिर पूर्णता की फोटो अधिकारियों ने काम शुरू करने के लिए पहले फोटो अपलोड किया, फिर जब काम शुरू कराने की बारी आई तो किसी दुसरी जगह को काम दिखा गया। और पूर्णता में भी यही खेल खेला गया । इस घोटाले मे जनपद पंचायत के सीईओं पीओ से लेकर कम्प्युटर आपरेटर,रोजगार सहायक सचिव व सरपंच सीधे तौर पर शामिल है।
हितग्राही का फर्जी अंगूठा लगाकर दे दी पूर्णता रिपोर्ट ….
शौचालय निर्माण पूर्ण होने के बाद हितग्राही से पूर्णता रिपोर्ट जनपद मे जमा करनी होती हैं उसके बाद राशि जारी होती है। सभी ब्लाक के पंचायतो में जनपतिनिधी सरंपच व सचिव ने मिलकर हजारो हितग्राही के शौचालय की पूर्णता रिपोर्ट को कमरे मे बैठकर खुद बना डाला। जनपद मे जिन दस्तावेजो के आधार पर राशि जारी हुई उसमें सभी मे हितग्राही के हस्ताक्षर और अंगुठे के निशान है, ऐसे मे स्पष्ट है कि सरंपचो व सचिवों ने फर्जी तरीके से काम को अंजाम दिया हैं ।
क्या है जिओ टैगिंग…
महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत होने वाले कामकाज की तस्वीरें लेने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है. जिलों में एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत जियो-मनरेगा के तहत कामकाज की बेहतर निगरानी के लिए इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट से हजारों हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें लेनी शुरू कर दी हैं जिन्हें जियो-टैग किया जाएगा. देश में मनरेगा के तहत साल में 30 लाख रचनाओं का निर्माण होता है. इन लाखों निर्माण कार्यों की बेहतर निगरानी के लिए सरकार अब इन सबका डाटाबेस बनाना चाहती है. मंशा इसके जरिए इन कार्यों की मानिटरिंग और अधिकारियों की जवाबदेही बेहतर तरीके से तय करने की है. सैटेलाइट से जो तस्वीरें ली जाएंगी वे एकदम सही होंगी. उनसे किसी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं होगी.।