जगदलपुर – बस्तर का दशहरा 600 साल पूर्व से मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस दशहरे में रावण दहन नहीं किया जाता , बल्कि माँ दंतेश्वरी को प्रशन्न करने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है जो की विश्वप्रसिद्ध है। इस त्यौहार में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है रथ, जिसे लकड़ियों से बनाया जाता है तथा कारीगरों द्वारा बहुत ही सुन्दर आकृति दी जाती है।
बस्तर दशहरा में आज शाम को विशालकाय दो मंजिला फूलरथ का परिचालन शुरू हुआ, इसका परिचालन पांच दिनों तक होगी। परम्परानुसार जोगी बिठाई के बाद ही दूसरे दिन से फूलरथ का परिचालन प्रारंभ होता है, जो सप्तमी तिथि तक अर्थात पांच दिन चलता है।
पहली फूल रथ परिक्रमा के दौरान मां दंतेश्वरी के छत्र को मां दंतेश्वरी के पुजारी के द्वारा मंदिर से बाहर निकालकर उसेे मावली मंदिर लाकर पूजा अर्चना किया गया। तत्पश्चात भगवान जगन्नाथ मंदिर परिसर स्थित श्री रामचंद्र जी के मंदिर लाकर पूजा की गई, इसके बाद जगन्नाथ मंदिर के उत्तर द्वार से छत्र को रथ में आरूढ़ किया जाएगा। रथ चालन से पूर्व पुलिस जवानों द्वारा मां दंतश्वरी को तीन राउंड फायर कर सलामी दी जाएगी।