जांजगीर चाम्पा। तखतपुर में पले बढ़े अनिल सोनी जांजगीर चाम्पा जिले में एडिशनल एसपी हैं। वर्ष 2017 में नक्सलियों से लोहा लेकर पांच नक्सलियों का एनकाउंटर कर बहादूरी दिखाने के लिए उन्हें राज्य सरकार ने पुलिस वीरता पदक से सम्मानित किया है। 15 अगस्त को रायपुर में उन्हें यह पुरस्कार दिया गया। जांजगीर-चांपा जिले में एडिशनल एसपी के पद पर अनिल सोनी नी मीडिया से चर्चा करने के दौरान बताया कि नक्सलियों से जब मुठभेड़ हुआ तब पूरी टीम नदी के उस पार थी। वही इस दौरान दोनों तरफ से लगातार फायरिंग होती गई। जिसमें हमें कामयाबी मिली और हमने 5 नक्सली को मार गिराया। मेरे साथ मेरी टीम पूरी तरह मौके पर डटे रहे तब जाकर कहीं सफलता मिली। इस पल को याद करके गर्व महसूस होता है।
अनिल सोनी 2007 बैच के राज्य सिविल सेवा के पुलिस अफसर हैं। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई अनिल सोनी ने तखतपुर से की है। इसके साथ ही बिलासपुर में रहकर पीएससी की तैयारी की। 2005 में आयोजित पीएससी परीक्षा में उनका चयन हो गया। प्रशिक्षण पश्चात उनकी पहली पोस्टिंग नक्सल क्षेत्र कांकेर के पखांजूर में एसडीओपी के रूप में हुई। तब से लेकर ज्यादातर पोस्टिंग नक्सल इलाके मे रही। इस बीच महासमुंद के बागबहरा में भी एसडीओपी रहे। फिर जून 2016 में उन्हें पदोन्नत कर एडिशनल एसपी बनाया गया। एडिशनल एसपी बनने के बाद फिर उन्हें नक्सल जिले में ही पदस्थापना मिली।
नारायणपुर में एडिशनल एसपी रहते हुए नवंबर 2017 में अनिल सोनी के नेतृत्व में जिला बल व एसटीएफ के जवानों की नक्सलियों से मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में अनिल सोनी भी बहादूरी से डटे रहे और नक्सलियों की गोली का सामना किया। इस मुठभेड़ की खासियत यह रही कि इसमें पुलिस के एक भी जवान की शहादत नहीं हुई। बल्कि उन्होंने नक्सलियों का किला ध्वस्त करते हुए पांच नक्सलियों का एनकाउंटर किया। इसके साथ ही नक्सलियों से बड़ी मात्रा में हथियार भी बरामद किए। उनकी इस बहादुरी के लिए राज्य सरकार ने पुलिस वीरता पदक सम्मान दिया है। अनिल सोनी को रायपुर में सम्मानित किया जाएगा।
हेलीकॉप्टर की आवाज सुनकर परिवार वाले डर जाते थे..
अनिल सोनी ने बताया कि जब एडिशनल एसपी के रूप में प्रमोशन मिला तो पहली पोस्टिंग नारायणपुर था जो घोर नक्सल इलाके में आता है। रात में 1 बजे सर्चिंग करने घर से निकलते थे इसी दौरान घर के परिवार जनों की चिंता और बढ़ जाती थी। जब रात में सर्चिंग कर वापस आते थे तब परिवार के लोगो को राहत मिलती थी। जब भी हेलीकॉप्टर की आवाज सुनते थे तब परिवार की चिंता और बढ़ जाती थी। परिवार के लोग कहते थे कि आज सर्चिंग में जा रहे हैं आपको कोई नक्सली ना मिले इस तरह परिवार की चिंता हमेशा सताती थी लेकिन घर के लोग हमेशा सपोर्ट करते हैं।